हर मां-बाप अपने बेटे के लिए सुनहरे कल के सपने देखते हैं, जिसके लिए वो अपने बेटे को अच्छे से अच्छे प्राइवेट स्कूल में भेजते हैं, जहां से पढ़-लिख कर वो एक कामयाब इंसान बन सके. इन सब के बीच एक माता-पिता ऐसे भी हैं, जो अपने बेटे को भविष्य का एक कामयाब किसान देखना चाहते हैं.

इसके लिए इस कपल ने रेलवे की अपनी सरकारी नौकरी को छोड़ी और गांव लौट आये. ख़बरों के मुताबिक 8 साल के गुरबक्श सिंह की मां चंचल कौर रेलवे में मुख्य मैट्रन के पद पर तैनात थीं, जबकि उनके पति राजेंद्र सिंह रेलवे में ही कैशियर का काम करते थे. इस सब के बावजूद नौकरी छोड़ कर बेटे को भविष्य में किसान बनाने के लिए तैयार करना, भले ही अजीब लगे, पर इसके पीछे राजेंद्र सिंह एक बड़ी वजह बताते हैं.

दरअसल, राजेंद्र की बहन को केमिकल फ़र्टिलाइज़र से उगे अनाज की वजह से कैंसर हो गया था. इस घटना ने परिवार को झकझोर कर रख दिया, जिसके बाद उन्होंने केमिकल फ़्री फ़ार्मिंग करने का फ़ैसला लिया.

इसके लिए राजेंद्र सिंह और चंचल कौर ने राजस्थान के अजमेर से केमिकल फ़्री फ़ार्मिंग की बारीकियां सीखीं और असरवाद में दो बीघा ज़मीन खरीदी. यहां की ज़मीन काफ़ी उपजाऊ मानी जाती है, जिससे हर साल किसानों को अच्छी पैदावार मिलती है.

गुरबक्श का दाख़िला भी पास के ही एक सेंट्रल स्कूल में करा दिया गया है. स्कूल से लौट कर वो कृषि के बारे में जानकारियां हासिल करता है.