बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे वाले देश में आज भी बेटियों को बोझ समझा जाता है.
बेटियों को बोझ समझे जाने की एक दुखद घटना बिहार से आई है. रिपोर्ट्स के अनुसार, पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीच्यूट ऑफ़ मेडिकल साइन्स में कंचन ज़िन्दगी और मौत के बीच में झूल रही है. उसकी दोनों किडनी फ़ेल हो गई हैं. सबसे दुखद बात ये है कि कंचन के माता पिता ने अपनी बेटी को बचाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि वो एक लड़की है.
उसे अपनी किडनी कौन देगा? वो एक लड़की है
-रामाश्रेय यादव

कंचन, बिहार के शेख़पुरा ज़िले की रहने वाली है और रिपोर्ट्स के मुताबिक उसने इसी साल मैट्रिक परिक्षा फ़र्स्ट क्लास से पास की है.
पैसों के अभाव में कंचन के माता-पिता उसे घर ले गए और ज़िले के सदर अस्पताल में भर्ती करवाया. माता-पिता के इस ‘ख़ूनी’ निर्णय के बाद कंचन अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी अपनी मौत का इंतज़ार कर रही है.
कंचन के माता-पिता ने सरकारी मदद के लिए भी कोशिश नहीं की है. Chief Minister Relief Fund के ज़रिए मरीज़ों को मदद मिलती है.
हम उम्मीद करते हैं कि ख़बरों के आधार पर कंचन को ज़िलाधिकारी या मुख्यमंत्री की ओर से कोई मदद मिले.
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