आज भी हाइवे किनारे के ढाबों, गांव कस्बों की चाय की दुकानों पर लोगों की पहली पसंद Parle G बिस्किट ही होती है. लेकिन इन दिनों 90’s के बच्चों के इस पसंदीदा बिस्किट का भविष्य ख़तरे में हैं.   

indiatoday

इकोनॉमिक टाइम्स में छपी ख़बर के मुताबिक़ पिछले कुछ समय से Parle G की सेल में भारी गिरावट आई है. जिसके चलते कंपनी जल्द ही करीब 10 हज़ार कर्मचारियों की छंटनी करने जा रही है. 

news18

Parle G के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने बताया कि ‘सेल्स घटने से हमें भारी नुकसान हो रहा है. ऐसे में हमने सरकार से 100 रुपये प्रति किलो या उससे कम कीमत वाले बिस्किट पर GST घटाने की मांग की है. ये बिस्किट आमतौर पर 5 रुपये या उससे कम के पैक में बिकते हैं. अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो हमें अपनी फ़ैक्ट्रियों में काम करने वाले 8 से 10 हज़ार लोगों को निकालना पड़ेगा.   

financialexpress

GST लागू होने से पहले 100 रुपये प्रति किलो से कम कीमत वाले बिस्किट पर 12 पर्सेंट टैक्स लगाया जाता था. कंपनियों को उम्मीद थी कि प्रीमियम बिस्किट के लिए 12 पर्सेंट और सस्ते बिस्किट के लिए 5 पर्सेंट का GST रेट तय किया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. 

navbharattimes

मयंक शाह ने कहा कि, दो साल पहले जब सरकार ने GST लागू किया तो सभी बिस्किट्स को 18 परसेंट स्लैब में डाला गया था. इसके चलते सभी कंपनियों को बिस्किट के दाम बढ़ाने पड़े. पारले को भी 5 पर्सेंट दाम बढ़ाना पड़ा, जिससे सेल्स में भारी गिरावट आई. 

exchange4media

आज़ादी से पहले की ये कंपनी वर्तमान में 5 रुपये की कीमत में पारले-जी, मैरी, मोनैको, क्रैकजैक, हाईड एंड सीक और 20-20 कुकीज़ जैसे कई बिस्किट बेच रही है. इन्हीं बिस्किट से पारले की सेल्स 10,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा होती है. इन बिस्किट की मांग शहरों के मुक़ाबले गावों में ज़्यादा है.   

conzumr

देशभर में कुल 10 प्लांट ऑपरेट करने वाली Parle Biscuits Private Limited में करीब एक लाख कर्मचारी काम करते हैं. कंपनी के पास 125 थर्ड पार्टी मैनुफ़ैक्चरिंग यूनिट भी हैं. कंपनी की सेल्स का आधा से ज़्यादा हिस्सा ग्रामीण बाजारों से आता है. 

उम्मीद करते हैं कि सरकार पार्ले कंपनी की मांग मानकर हमारे बचपन की याद Parle G को बंद होने से बचाए.