विश्वभर में अंतिम संस्कार के रीति-रिवाज धर्म के साथ बदलते रहते हैं. हिन्दू धर्म में मृत लोगों को जलाया जाता है, तो मुस्लिमों में दफ़नाया जाता है. सभी धर्म के अंतिम क्रिया कर्म के लिए सरकार एक जगह निर्धारित करती है. पारसी समुदाय के लोगों के अंतिम संस्कार को Dokhmenishini कहते हैं. इसमें पारसी लोगों के मृत शरीर को एक विशाल गोल टावर ‘Tower of Silence’ पर ले जाकर छोड़ देते हैं, जहां गिद्ध लाश को खा लेते हैं और बचा हुआ शरीर सूरज की किरणों से ख़त्म हो जाता है. पारसी धर्म में धरती और आग को पवित्र मानते हैं और लाश को अपवित्र, जिस वजह से वो ऐसा करते हैं.
सूरत के पारसी अब अपने मृत परिवार जनों को दफ़ना भी सकते हैं.
सूरत के नवसारी में सबसे ज़्यादा पारसियों की संख्या है. 6 महीने पहले Navsari Samast Parsi Zoroastrian Anjuman (NSPZA) को समुदाय के 163 सदस्यों ने पारसियों को दफ़नाए जाने की बात करते हुए चिट्ठी लिखी थी, जिसके बाद संगठन ने एक मीटिंग की.
मीटिंग में फैसला हुआ कि पारसी लोग ये चुनाव कर सकते हैं कि मृत शरीर को दफ़नाया जाए या अंतिम संस्कार का पारंपरिक तरीका ही अपनाया जाए. ये पारंपरिक तीरका दो Dokhma (अंतिम संस्कार की जगह) में चलता रहेगा और इसके अलावा मृत शरीर को दफ़ानाने के लिए जगह, Dokhma के आस-पास ही बनाई जाएगी.
मीटिंग में मौजूद कुल 166 लोगों में से 7 लोग इस फ़ैसले के खिलाफ़ हैं.