किसी भी परिवार के लिए वो समय एक बुरे सपने की तरह होता है जब परिवार का कोई सदस्य यात्रा के दौरान बार-बार कॉल और मैसेज़ करने के बाद भी कोई ज़वाब नहीं देता है. इस दौरान हर इंसान के दिमाग़ में तरह-तरह की बातें चलने लगती हैं.

जो नहीं होना चाहिए था कुछ ऐसा ही कानपुर के एक व्यवसायी संजय कुमार अग्रवाल के परिवार के साथ भी हुआ. दरअसल, संजय कुमार अग्रवाल ने 24 मई को आगरा में एक शादी अटेंड करने के लिए कानपुर से शाम 6 बजे आगरा के लिए पटना-कोटा एक्सप्रेस पकड़ी. AC तृतीय श्रेणी में टिकट मिलने से संजय ख़ुश थे. शाम साढ़े सात बजे के करीब संजय की पत्नी ने हाल-चाल जानने के लिए संजय को फ़ोन किया. इस दौरान संजय ने अपनी पत्नी को बताया की उनकी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है. दरअसल, संजय के परिवार के लिए ये कॉल आख़िरी कॉल साबित हुई.

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आगरा पहुंचने के समय पर जब घरवालों ने संजय को कॉल किया, तो उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. बार-बार कॉल करने के बाद भी जब घरवालों को कोई जवाब नहीं मिला, तो वो घबरा गए. इधर परिवार वाले परेशान थे कि आखिर संजय फ़ोन क्यों नहीं उठा रहे हैं? दरअसल, जिस वक़्त संजय की उनकी पत्नी से बात हुई थी उसके तुरंत बाद संजय बाथरूम चले गए थे. इसी दौरान उनको हार्ट अटैक आया और बाथरूम में ही उनकी मौत हो गयी. जब संजय आगरा स्टेशन पर नहीं उतरे, तो उनकी पत्नी ने GRP में शिकायत दर्ज़ की. लेकिन रेलवे प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया.

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इस दौरान संजय की बॉडी बाथरूम में ही पड़ी रही, लेकिन ट्रेन अपने समयानुसार चलती रही. 6 घंटा देरी के साथ ट्रेन रात 12:30 पर कोटा पहुंची, उसके बाद वहां से वापस आगरा, कानपूर होते हुए पटना जंक्सन पहुंची. इस दौरान ट्रेन क़रीब 1500 किमी चली. लेकिन रेलवे बोर्ड की लापरवाही तो देखिये न तो सफ़ाई कर्मियों ने और न ही सिक्योरिटी स्टाफ़ ने एक बार भी बाथरूम में झांकने की कोशिश की.

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72 घंटे बाद ट्रेन पटना स्टेशन पहुंची और सभी यात्री उतर गए. इसके बाद ट्रेन को सफ़ाई के लिए यार्ड में भेज दिया गया. साफ़-सफ़ाई के दौरान जब सफ़ाई कर्मियों को किसी बाथरूम से बदबू आने का एहसास हुआ, तुरंत ही उन्होंने इस बारे में GRP को जानकारी दी. जब जीआरपी ने बाथरूम का दरवाज़ा तोड़कर देखा, तो बाथरूम में संजय की सड़ी-गली लाश मिली.

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न्यूज़ 18 से बात करते हुए मध्य-पूर्व रेलवे के सीपीआरओ, राजेश कुमार ने कहा, ‘ये एक असामान्य घटना थी. रेलवे पुलिस की जांच रिपोर्ट आने के बाद आंतरिक जांच के आदेश भी दे दिए जायेंगे. दरअसल, संजय को ढूंढने में देरी इसलिए भी हुई क्योंकि उनकी पत्नी ने उन्हें ग़लत ट्रेन नंबर दिया था. संजय ने न तो रिज़र्वेशन किया था, न ही कोई नया टिकट लिया था. इसीलिए उनको खोजने में इतनी देर हुई.