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इस जगह को पॉइंट निमो (Point Nemo) कहा जाता है. जिसके नाम का मतलब ही है कि वो स्थान जहां कोई नहीं रहता. लेकिन सवाल ये है कि आख़िर सात अरब से ज़्यादा आबादी वाली इस दुनिया में एक जगह इस तरह वीरान क्यों है?
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दरअसल, पॉइंट निमो समुद्र के बीचों-बीच स्थित है. दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच स्थित इस जगह को समुद्र का केंद्र भी माना जाता है. सबसे ख़ास बात ये है कि इस समुद्री स्थान पर किसी भी देश का अधिकार नहीं है. अगर यहां से आप सूखी ज़मीन तलाशेंगे तो सबसे पास का द्वीप भी क़रीब 2,700 किलोमीटर दूर है. यहां न तो बहुत ज़्यादा जीव-जंतु हैं और न ही वनस्तपति. यही वजह है कि इस जगह को दुनिया की सबसे अकेली जगह माना जाता है.
एक भारतीय काल्पनिक क़िरदार पर पड़ा जगह का नाम
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सैटेलाइटों का कब्रिस्तान बन गया है पॉइंट निमो
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यहां न तो कई इंसान है और न ही जीव-जंतु और वनस्तपति. ऐसे में इस जगह का इस्तेमाल स्पेस की ख़राब हुई सैटेलाइट को गिराने के लिए किया जाता है. यहां सैटेलाइट का ईंधन भी गिराया जाता है. क्योंकि अगर सैटेलाइट आबादी वाली जगहों पर गिरे, तो लोगों की जानमाल को नुकसान होगा. हालांकि, इस वजह से ये जगह अब सैटेलाइटों का कब्रिस्तान बन गई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक यहां 100 से भी ज्यादा सैटेलाइटों का कबाड़ इकट्ठा किया जा चुका है. हज़ारों किलोमीटर दूर तक यहां सैटेलाइटों का मलबा फैला रहता है.
यहां सुनाई देती हैं रहस्मयी आवाज़ें
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पॉइंट निमो की खोज साल 1992 में एक सर्वे इंजीनियर Hrvoje Lukatela ने की थी. 1997 में, समुद्र विज्ञानियों ने पॉइंट निमो के पूर्व में क़रीब 2,000 किमी से एक रहस्यमयी आवाज़ सुनी. ब्लू व्हेल की आवाज़ से भी ज्यादा शोर ने वैज्ञानिकों को उलझा दिया. कोई समझ नहीं पा रहा था कि आख़िर ये शोर किस चीज़ का है. कुछ लोगों ने इसे दूसरी दुनिया की आवाज़ मान लिया. तो कुछ रहस्यमयी मॉन्स्टर की थ्योरी गढ़ने लगे.
हालांकि, यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने कंफ़र्म किया कि ये आवाज बहुत बड़ी-बड़ी बर्फीली चट्टानों के टूटने के कारण पैदा हो रही है. दरअसल, बर्फ के टूटने पर जो फ्रीक्वेंसी पैदा होती है, वही ये आवाज बन जाती है.
कुछ भी हो, आज भी ये समुद्री इलाका वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बना हुआ है. पूरी तरह से अभी इसे एक्सप्लोर नहीं किया जा सका है. ऐसे में धरती पर मौजूद ये अनछुई जगह लोगों में जिज्ञासा पैदा करती रहेगी.