प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से अपील की थी कि रविवार रात 9 बजे 9 मिनट के लिए दिया, मोमबत्ती या मोबाइल की फ़्लैश लाइट जलाकर ‘अपने-अपने घरों में’ खड़े हों. ज़्यादातर लोगों ने ऐसा किया भी और चुपचाप कोरोना के खिलाफ़ जंग में अपनी एकजुटता दिखाई. 

लेकिन लगता है कि कुछ लोगों के दिमाग का दिया बुझ चुका है. देश के करोड़ों लोगों की दिखाई गई रौशनी भी उनके अक़्ल की अंधेरी कोठरी में उजाला न कर पाई. ये वो निरे मूर्ख़ हैं, जिन्होंने पूरे कार्यक्रम के उद्देश्य की ही ऐसी-तैसी कर दी. 

सोशल डिस्टेंसिंग को रौंदते हुए इन अक़्ल ‘मंद’ लोगों ने बाकायदा कैंडल मार्च निकाले हैं. 

इन महामूर्खों की टोली को अगर गलती से कोरोना महाराज छूं ले, तो वो भी तड़ से सैनिटाइज़र यूज़ कर लेंगे. काहे कि इत्ती संक्रमित बुद्धि के साथ भाई न जिया जाएगा.