‘कैंची चलाते-चलाते कब हम गद्दी पर सवार हो गए 

 अनजाने ही पैंडल मारते-मारते बचपन के पार हो गए’

साइकिल चलाना कुछ ऐसे ही शुरू हुआ था. पैर भी नहीं पहुंचते थे, तब पहली एटलस साइकिल घर आ गई थी. हैंडल टेढ़ा कर कैंची मारते थे. कई बार पैंट की मोहरी फंसी, गिरे और घुटने छिलवाए. चेन उतर जाती थी, तो पूरे हाथ काले करने पड़ते थे लेकिन उस वक़्त जो आंखों में चमक आती थी, उसको शब्दों में बयां नहीं कर सकते. 

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स्कूल की सीधी चढ़ाई पर तो बाकायदा शर्त लगती थी. एटलस वाला आदमी याद है? जो धरती को लादे झुका रहता था, हां, बिल्कुल वैसी ही हालत हमारी भी हो जाती थी. खैर, कई नाकाम कोशिशों के बाद सफ़लता मिली थी. उस दिन तो हम ग़ज़ब मौज में थे. मेरी ही तरह बहुत से लोगों की अपनी पहली साइकिल के साथ यादें जुड़ी हैं. 

दरअसल, हाल ही में भारत में सबसे लोकप्रिय साइकिल निर्माताओं में से एक एटलस ने साहिबाबाद में अपने परिचालन पर ब्रेक लगा दिया. इस खबर के आने के बाद बहुत से लोगों को निराशा हुई, क्योंकि साइकिल का मतलब एक तरह से लोगों के लिए एटलस ही था. 

ऐसे में कई लोग इस रफ़्तार भरी ज़िंदगी में एक पल को थमकर उस वक़्त को याद करने लगे हैं, जब उन्होंने पहली बार एटलस साइकिल को चलाया था. सिर्फ़ यही नहीं, उन ख़ुशनुमा पलों को लोगों ने सोशल मीडिया पर शेयर भी किया है. 

क्या आप अपनी नई साइकिल में लगी दफ़्ती और पन्नी को तब तक नहीं उतारते थे, जब तक वो ख़ुद फ़ट न जाए? क्या आप साइकिल के टायर पर खड़े होकर हैंडल सीधा करते थे? क्या आपने भी कैरियर पर खड़े होकर साइकिल चलाई है? अग़र हां, तो नीचे कमंट बॉक्स में शेयर करें अपना जबर एक्सपीरियंस.