यात्री गण कृपया ध्यान दें, पेप्सी राजधानी एक्सप्रेस थोड़ी ही देर में पहुंचने वाली है, कोका कोला शताब्दी एक्सप्रेस प्लेटफार्म नंबर दो से छूटने वाली है. रेलवे स्टेशनों पर इस तरह के अनाउंसमेंट यात्रियों को अगले कुछ दिनों में सुनाई पड़ सकते हैं. रेलवे अपनी आय बढ़ाने के लिए आने वाले दिनों में ट्रेनों और स्टेशनों के नाम मल्टीनेशनल कंपनियों के नाम पर रखने की योजना पर काम रहा है. रेलवे की योजना है कि यात्री और माल किराया बिना बढ़ाए विज्ञापन के जरिए राजस्व जुटाया जाए.
विज्ञापनों के जरिए रेलवे की आय बढ़ाने की योजना तैयार हो चुकी है और अगले हफ्ते रेलवे बोर्ड इसे मंजूरी दे सकता है. इस योजना के तहत कंपनी किसी ट्रेन के लिए मीडिया अधिकार खरीद सकती है. इसके अलावा ट्रेन के अंदर और बाहर दोनों जगह विज्ञापन कर सकती है. रेलवे के एक सीनियर अधिकारी के अनुसार लंबे समय के लिए रेलवे स्टेशनों के नाम के आगे भी कंपनियों के नाम जोड़े जा सकते हैं.
दो साल पहले का प्लान
आपको बता दें कि दो साल पहले इस योजना पर काम शुरू हुआ था. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाल में रेलवे अधिकारियों के साथ मीटिंग के बाद इस योजना को जल्द अंजाम देने का काम शुरू हुआ है. पीएम मोदी ने रेलवे को कामर्शियल एडवरटाइजिंग पर जोर देने को कहा है.
2015 में रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिकल सर्विसेज (RITES) को रेलवे ने जिम्मेदारी सौंपी थी कि कमर्शियल से रेलवे कितनी कमाई कर सकता है. इस पर काम करने के बाद राइट्स ने रेलवे को कामर्शियल एडवरटाइजिंग पर जोर देने को कहा था. कहा गया कि इससे रेलवे को सालाना सैकड़ों करोड़ का लाभ हो सकता है. RITES ने सुझाव दिया कि ट्रेनों के नाम के आगे कंपनी का नाम जोड़ा जाए. मसलन पेप्सी राजधानी, कोकाकोला शताब्दी आदि. रेलवे के पुलों एवं अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर भी विज्ञापन लगाने का सुझाव है. एडवरटाइजिंग रेलवे के एसी कोच में मिलने वाले बेडरोल, पर्दों पर भी की जा सकती है.
उत्तर मध्य रेलवे कर चुका है प्रयोग
उत्तर मध्य रेलवे इस स्कीम पर पहले काम कर चुका है. पांच साल पहले यहां इलाहाबाद से नई दिल्ली जाने वाली प्रयागराज एक्सप्रेस के सभी कोचों में ‘आइडिया’ कंपनी ने एडवरटाइजिंग की थी. तब रेलवे को इससे काफी आय भी हुई थी. 2012 में उत्तर मध्य रेलवे ने 12 जोड़ी ट्रेनों को विज्ञापन के लिए दिया था. उस समय सभी ट्रेनों के लिए विज्ञापन की अलग-अलग दरें निर्धारित की गई थीं.