पूरी दुनिया इस वक़्त कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है. भारत भी इस लड़ाई में अपनी एड़ी-चोटी तक का ज़ोर लगा रहा है. ऐसे में कुछ लोग ख़ुद की फ़िक्र छोड़कर पूरे समाज की सुरक्षा के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. फ़ार्मासिस्ट भी इन कोरोना वॉरियर्स में से एक हैं.
वो लगातार काम कर रहे हैं क्योंकि किसी को तो करना ही है. ऐसे ख़तरनाक माहौल में अपनी जान जोख़िम में डालकर काम करने वाले एक फ़ार्मासिस्ट ने Humans of Bombay से बातचीत के दौरान बताया.
‘मैं 10 साल की उम्र से अपने पिता के साथ फ़ार्मेंसी स्टोर चला रहा हूं. ऐसे में जो काम मैं सालों से करता आया हूं, वो COVID-19 संकट के समय बंद नहीं कर सकता. मुझे डर लगता है, मेरी पत्नी और बच्चों को भी चिंता होती है. लेकिन मुझे अपनी शॉप खोलनी ही है ताकि लोगों को उनके इलाज में परेशानी न हो.’
उन्होंने कहा कि महामारी के समय ये ज़रूरी हो जाता है कि लोगों को समय पर उनकी दवाएं मिल सकें. फिर भले ही इसके लिए आधी रात को ही क्यों न जागना पड़े.
‘मेरे एक रेगुलर कस्टमर ने एक बार मुझे आधी रात को बुलाया. उन्हें अपने पिता के लिए दवाओं की तुरंत ज़रूरत थी. मैं उसी वक़्त घर से निकला और दुक़ान खोली. कई बार तो मैं पैसा भी नहीं लेता और कभी भी देर रात के लिए फ़ीस नहीं वसूल करता.’
उन्होंने बताया कि मेरा काम तब सार्थक हो जाता है, जब ऐसे लोग जिनके पास संसाधन नहीं होते हैं, वो भी ईमानदारी दिखाते हैं और आभार व्यक्त करते हैं.
‘एक बार की बात है, एक गांव वाला मेरे पास आया. उसे दवा की सख़्त ज़रूरत थी, लेकिन उसके पास पैसा नहीं था. मैंने उसे दवा दी और कहा जब पैसा हो तो वापस कर देना. साथ ही उसे खाने के लिए भी कुछ पैसा दिया. पैसे लौटाने के लिए तीन हफ़्ते बाद वो शख़्स वापस आया और मेरे पैर पर गिरकर शुक्रिया अदा किया. ये कुछ पल हैं, जो मुझे काम करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं.’
आख़िर में उन्होंने बताया कि वो सिर्फ़ लोगों की सेवा करना चाहते हैं, जैसा उनके पिता ने उन्हें सिखाया है.