जंगलों और राष्ट्रीय उद्यानों जैसे संरक्षित क्षेत्रों को पर्यटकों के लिए खोले जाने के दुष्प्रभाव अब सामने आने लगे हैं. अकसर ये देखा गया है कि टूरिस्ट वहां जाते तो हैं वाइल्ड लाइफ़ का नज़ारा देखने, लेकिन अपने पीछे ढेर सारा कूड़ा-कचरा छोड़ आते हैं. इसका असर अब वन्य जीवों पर पड़ने लगा है. वहां पर लगे प्लास्टिक आदि के कचरे के अंबार अब इनके पारिस्थितिक तंत्र को बिगाड़ने लगे हैं.

दरअसल, हाल ही में कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व की एक तस्वीर सामने आई है. इस तस्वीर में एक तेंदुआ प्लास्टिक के कचरे में खाने की तलाश करता दिखाई दे रहा है. इस फ़ोटो को उत्तराखंड के वन संरक्षक पराग मधुकर धकाते ने खींचा है. 

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उन्होंने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए कहा- ‘ये हमारे लिए ख़तरे की घंटी है. हमारे सामने अभी तक ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई थी. हम इसकी जांच कर रहे हैं.’ 

इस संदर्भ में Corbett Tiger Reserve के निदेशक राहुल ने बात करते हुए कहा, ‘ये एक गंभीर मुद्दा है. संरक्षित वन क्षेत्र में ऐसा होना बहुत ही चिंताजनक है. इसकी हम जांच करेंगे और इस तरह की घटनाएं फिर से सामने न आएं इसके लिए उपयुक्त कदम उठाए जाएंगे.’  

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पराग मधुकर ने एक और तस्वीर शेयर की है. इस फ़ोटो में एक हाथी प्लास्टिक के कचरे के दलदल से बाहर निकलने की कोशिश करता दिखाई दे रहा है. 

उनका कहना है कि ऐसी तस्वीरें अब हर रोज़ दिखाई देने लगी हैं. पराग ने आगे कहा, ‘कभी हमारे जंगल बहुत ही साफ़-सुथरे हुआ करते थे, लेकिन अब ये प्लास्टिक के डंपिंग ग्राउंड में तब्दील होते जा रहे हैं, जिसका असर वन्य जीवों पर दिखाई दे रहा है और हां ये इनकी मौत का कारण भी बन रहा है. इसका एक कारण लगातार बढ़ती गैर-ज़िम्मेदार पर्यटकों की संख्या है. वो जंगलों में प्लास्टिक का कचरा फेंक आते हैं और इन्हें खाकर कई जानवरों की मौत हो जाती है.’  

इस साल की शुरुआत में ही गुंडी नेशनल पार्क चेन्नई में 9 हिरणों की मौत कचरा खाने से हो गई थी. एक हिरण के पेट का पोस्टमार्टम करने पर उसमें से 6 किलो प्लास्टिक की थैलियां निकली थीं.  

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उत्तराखंड में हुए एक सर्वे के अनुसार, जंगलों में मौजूद कचरा वहां के जीवों के भोजन पर असर डाल रहा है. ये सर्वे ऐसी दो जगहों पर हुआ था, जहां टूरिस्ट अधिक कूड़ा- कचरा फेंकते हैं.  

ये सर्वे प्लास्टिक को ग्रहण करने के बाद जानवरों पर क्या असर होता है, ये जानने के लिए किया गया था. इसके अनुसार, करीब 32 प्रजातियां(पशु-पक्षी) प्लास्टिक के कचरे से भोजन तलाश कर खाने की आदि हो गई हैं.

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अगर आपको अभी भी समझ नहीं आ रहा है कि हम वन्य जीवों को अपने स्वार्थ के लिए कितना नुक्सान पहुंचा चुके हैं, तो ये फ़ोटोज़ देख लीजिये: 

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helpsavenature
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इसका सीधा मतलब ये है कि हमारे प्लास्टिक के मोह और साफ़-सफ़ाई न रखने की आदत ने अब जंगली जीवों का भी जीवन बर्बाद करना शुरु कर दिया है. हमें जितनी जल्दी हो सके इस आदत को बदल लेना चाहिए.