कर्नाटक में MeToo और फेमिनिज़्म को ख़त्म करने के लिये ‘पिशाचनी मुक्ति पूजा’ का आयोजन किया गया है. इस बारे में संगठन का कहना है कि ये पूजा ‘परिवार बचाओ आंदोलन’ के तहत की गई है. कर्नाटक की ये विचित्र घटना आजकल सोशल मीडिया पर चर्चा का टॉपिक भी बनी हुई है. सोशल मीडिया पर शेयर की गई तस्वीरों को देख कर ये भी साफ़ है कि पूजा को काफ़ी पारंपरिक तरीके से किया गया है.
‘पिशाचनी मुक्ति पूजा’ 22 सितबंर को दोपहर 12.30 बजे रखी गई थी. इतना ही नहीं इस पूजा में फेमिनिज़्म और MeToo का पिंडदान भी किया गया.
@SIFKtka Men performing #Pinddaan
— ♂ #StandUp4Men (@mra_srini) September 22, 2019
and #PishachiniMuktiPuja
To free the society from the evils of #feminism pic.twitter.com/KG97uUNa29
सोशल मीडिया पर जारी की गई विज्ञप्ति
@SIFKtka performed #PishachiniMuktiPuja to remove #feministic carcinoma from our women & #Pinddaan to the already dead Rakskasi of #metooindia & #Feminism so as to not take rebirth and reach moksha in the global interest of family & Society at large. pic.twitter.com/d7MjWs02nD
— S Bhosekar (@BhosekarS) September 22, 2019
वहीं इस बारे में संठगन के प्रवक्ता का कहना है कि ‘ये पूजा हमारे लिये प्रतीकात्मक है. इससे हमें नारीवाद नामक ‘कैंसर’ से निजात पाने में मदद मिलेगी’. इसके अलावा उनका ये भी कहना है कि ‘अब वक़्त आ गया है, जब MeToo आंदोलन नामक राक्षस को भी ख़त्म किया जाये’.
इसके बाद जब प्रवक्ता से पूछा गया कि क्या इस तरह की पूजा दोबारा भी हो सकती है, तो जवाब था कि ‘नारीवाद नामक बुराई को ख़त्म करने के लिये दोबारा ऐसा किया जा सकता है क्योंकि इसके चलते परिवार में काफ़ी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं’.
कर्नाटक की इस घटना को जानने के बाद बस एक ही सवाल है कि अगर MeToo और फेमिनिज़्म कैंसर है, तो आये दिन देश के कोने-कोने से आने वाली बलात्कार की घटनाएं क्या हैं? जिस देश की नारियां आज आसमान छू रही हैं, उसी देश में उनकी आज़ादी ख़त्म करने की कोशिश की जा रही है. क्या ये सही है?