राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल कई उपलब्धियों का गवाह रहा है. नए राष्ट्रपति का नाम घोषित होने के साथ ही उनका कार्यकाल इस महीने खत्म हो जाएगा. राष्ट्रपति भवन में हुए एक समारोह के अवसर पर पीएम मोदी ने राष्ट्रपति के साथ अपनी खट्टी-मीठी यादें ताज़ा कीं.

पीएम मोदी ने राष्ट्रपति से जुड़ी किताब को भी लॉ्न्च किया है. इस किताब का नाम ‘राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी – ए स्टेट्समैन’ है. किताब को रिलीज़ करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ‘ये मेरा सौभाग्य था कि दिल्ली में सेटल होते समय वे परेशानियों में प्रणब का हाथ थाम सके. पिछले तीन सालों में हमारे बीच जितनी भी मीटिंग्स हुईं, राष्ट्रपति ने मुझे अपने बेटे की तरह ही ट्रीट किया’.

उन्होंने कहा कि ‘महामहिम मुझे अक्सर कहते कि मोदी जी आपको आधा दिन आऱाम करना ही होगा. आप क्यों इतना दौड़-भाग करते हैं? आपको अपने प्रोग्रामों की संख्या को घटाना चाहिए और अपने स्वास्थ्य की परवाह करनी चाहिए’. पीएम मोदी ने भावनात्मक होते हुए कहा ‘मैं ये बातें दिल से कह रहा हूं. महामहिम मेरी एक पिता की तरह चिंता करते थे’.

पीएम ने कहा कि ‘यूपी चुनाव के समय उन्होंने मुझे कहा था कि जीत और हार तो चलती रहेगी, लेकिन क्या तुम अपनी सेहत का ख्याल करोगे या नहीं? ये उनकी राष्ट्रपति की ज़िम्मेदारियां नहीं थीं, बल्कि उनका एक मानवीय और संवेदनशील पहलू था जो अपने एक दोस्त की मदद करना चाहता था’.

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी पीएम का आभार जताया और उनकी तारीफ़ की. मुखर्जी ने कहा कि ‘अलग-अलग विचारधारा होने पर भी हमारे संबंधों में किसी तरह की परेशानी नहीं रही. मैं ये दावे से कह सकता हूं कि ये सरकार हर मुश्किल परिस्थिति में भी काम करती रही है’.

मुखर्जी ने कहा कि ‘मैं अक्सर फाइनेंस मंत्री, अरुण जेटली से वर्तमान में चल रहे मुद्दों पर सफ़ाई मांगा करता था, जो अक्सर इन मौकों पर मौजूद रहते थे और जेटली हमेशा उन्हें सरकार के स्टैंड से अवगत कराया करते थे’.

ये किताब दरअसल एक फ़ोटो निबंध है. इसमें राष्ट्रपति के मानवीय पहलू से लोगों को रू-ब-रू कराने की कोशिश की गई है. अक्सर प्रोटोकॉल फ़ॉलो करने वाले राष्ट्रपति इस फ़ोटो सीरीज़ में एक अलग अंदाज़ में नज़र आएंगे.

पीएम मोदी ने कहा कि ‘लोगों को इन तस्वीरों से पता चलेगा कि हमारे राष्ट्रपति कैसे बच्चों की तरह खिलखिलाया करते थे और दूसरे देशों के प्रतिनिधियों के सामने किस आत्मविश्वास के साथ पेश आया करते थे’.