गीत गुमसुम है, ग़ज़ल चुप है, रुबाई है उदास ऐसे माहौल में ‘नीरज’ को बुलाया जाए…
साहित्य समाज उदास है क्योंकि उसे पता है कि उसकी महफ़िल से ‘नीरज’ जा चुके हैं. लोकप्रिय कवि गोपालदास नीरज का कल शाम निधन हो गया. दिल्ली के एम्स में उन्होंने अतिंम सांसें लीं. नीरज पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. 93 साल के नीरज का जाना साहित्य जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है.

जिस वक़्त इस देश को नीरज के गीतों की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, उसी समय इस गीतकार की कलम शांत हो गई. नीरज अपने एक लोकप्रिय गीत में कहते हैं:
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाएजिस में इंसान को इंसान बनाया जाए…आग बहती है यहां गंगा में झेलम में भीकोई बतलाए कहां जा के नहाया जाए…
नीरज ने हिन्दी फ़िल्मों के लिए भी कई मशहूर गाने लिखे.इन गीतों को हम-आप गुनगुनाते हुए बड़े हुए हैं.
‘शोख़ियों में घोला जाए फूलों का शबाब’
‘ख़िलते हैं ग़ुल यहां खिल के बिखरने को’
‘लिखे जो ख़त तुझे वो तेरी याद में’
फ़िल्मी गीत लिखना नीरज को कुछ ख़ास पसंद नहीं था. उनसे मिलने वाली लोकप्रियता के बावजूद नीरज ने फ़िल्मी दुनिया से ख़ुद को सदा के लिए दूर कर लिया. उनका पहला प्यार ‘कवी सम्मलेन’ थे और वो उसी के साथ रहे.
नीरज का जन्म 4 जनवरी, 1925 को उत्तरप्रदेश के इटावा के समीप महेवा गांव में हुआ. साहित्य में उनके योगदान की वजह से उन्हें 1991 में पद्मश्री और 2007 में पद्मभूषण सम्मान दिया गया.
एक कवि के साथ-साथ गोपालदास नीरज एक शिक्षक भी थे. अलीगढ़ के धर्मा कॉलेज में गोपाल दास हिन्दी के प्रोफ़ेसर थे. 2012 में नीरज को अलीगढ़ की मंगलयत्न युनिवर्सिटी का कुलपति नियुक्त किया था.
साहित्य की दुनिया में नीरज की इतनी उपलब्धियां हैं कि क्या गिनाएं, क्या नहीं, इसके हम क़ाबिल नहीं हैं. उन्होंने पूरी श्रद्धा और ईमानदारी से हिन्दी साहित्य की सेवा की है. उनके जाने की ख़बर सुनने के बाद कई बड़ी हस्तियों ने शोक संदेश भेजे.
Saddened by the demise of noted poet and lyricist Shri Gopaldas ‘Neeraj.’
Shri Neeraj’s unique style connected him with people from all walks of life, across generations. His works are unforgettable gems, which will live on and inspire many. Condolences to his admirers.— Narendra Modi (@narendramodi) July 19, 2018
प्रख्यात कवि श्री गोपाल दास ‘नीरज’ जी के निधन पर गहरा दुःख हुआ। नीरज जी ने अपनी काव्य रचनाओं से हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया। उन्हें भावनाओं और अनुभूतियों को व्यक्त करने में दक्षता हासिल थी। हिन्दी फिल्मों के लिए नीरज जी द्वारा लिखे गए गीत आज भी लोकप्रिय हैं।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) July 19, 2018
महान कवि श्री गोपालदास ‘नीरज’ जी के महाप्रयाण पर अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि! उनके अमर गीत हमेशा-हमेशा हमारी स्मृतियों में गूँजते रहेंगे… कारवाँ गुज़र गया… pic.twitter.com/BzEh6QWphu
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 19, 2018
अंतिम में यही कहा जा सकता है कि नीरज की ज़िंदगी किसी फ़कीर जैसी ही थी, तभी वो लिखते हैं:
हम तो मस्त फ़कीर हमारा कोई नहीं ठिकाना रेजैसा अपना आना प्यारे वैसा अपना जाना रे