अलवर गैंग रेप ने एक बार फिर से देश में महिला सुरक्षा की पोल खोल दी है. महिला सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन और राजनीतिक पार्टियां के दावे खोखले नज़र आ रहे हैं.
घटना राजस्थान के अलवर ज़िले की है. जहां कुछ युवक मोटर साईकल से बाज़ार जा रहे एक दलित दंपती का रास्ता रोक लेते हैं और उन्हें किसी सुनसान जगह पर ले जाते हैं. इसके बाद ये हैवान पति के सामने महिला के साथ बारी-बारी से 3 घंटे तक सामूहिक बलात्कार करते हैं. विरोध करने पर पति को बुरी तरह से पीटा जाता है.
शिकायत के डर से ये हैवान इस घटना का वीडियो बना लेते हैं और बाद में इस दंपत्ति से पैसे की मांग भी करते हैं. बार-बार पैसे की मांग करने के बाद जब ये दंपत्ति पैसे नहीं दे पाता, तो आरोपी घटना का वीडियो वायरल कर देते हैं.
एक महिला की इज़्ज़त तार-तार कर दी जाती है, लेकिन पुलिस प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंगती. इतनी बड़ी घटना हो जाने के बावजूद पुलिस तब हरकत में आती है जब दलित समुदाय के लोग इंसाफ़ को लेकर अलवर के थानागाज़ी में प्रदर्शन करते हैं.
दरअसल, घटना 26 अप्रैल की बताई जा रही है. दलित संगठनों का आरोप है कि पुलिस ने लोकसभा चुनावों को लेकर कई दिनों तक इस मामले को दबाए रखा. लापरवाही बरतने के आरोप में एसएचओ सरदार सिंह को निलंबित कर दिया गया है. जबकि अलवर के एसपी राजिव पार्चर का ट्रांसफ़र कर दिया गया है.
पुलिस की गिरफ़्त में आये 3 आरोपी
दलित संगठनों के लगातार विरोध-प्रदर्शन के बाद पुलिस ने इस मामले में 3 आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया है. जबकि अन्य 2 आरोपियों की धर-पकड़ के लिए पुलिस की कई टीमें छापेमारी कर रही हैं. गैंगरेप में शामिल आरोपियों की पहचान ड्राइवर इंद्रराज गुर्जर, छोटे लाल, महेश गुर्जर, हंसराज और अशोक के रूप में हुई है. सभी आरोपियों की उम्र 20-25 के बीच है और ये सभी आरोपी ट्रक ड्राइवर या हेल्पर हैं.
पुलिस ने मुकेश गुर्जर नामक एक शख्स को वॉट्सएप पर गैंगरेप का विडियो अपलोड करने के आरोप में गिरफ़्तार किया है.
इस विरोध प्रदर्शन में शामिल ग़ैरसरकारी संगठन ‘डेमोक्रेटिक इंडिया’ के महेश वर्मा ने बताया कि पुलिस ने पीड़िता की शिकायत पर कार्रवाई नहीं की और अभियुक्तों ने वीडियो वायरल कर दिया. महेश वर्मा का आरोप है कि पुलिस ने चुनाव को ध्यान में रखकर मामले को रोके रखा. हालांकि पुलिस इससे इनकार कर रही है.