इस देश में सत्ता और ताकत का नशा किस हद तक छाया हुआ है, इसकी बानगी मुंबई के रहने वाले प्रणय नायर ने फ़ेसबुक पर शेयर की. 1 जून की रात को जब वो गाड़ी चला रहे थे, तो एक पुलिस अधिकारी ने उनकी पिटाई सिर्फ़ इसलिए कर दी क्योंकि उन्होंने गाड़ी की स्पीड थोड़ी स्लो कर ली थी. उस रात प्रणय के साथ जो कुछ हुआ, उसे फ़ेसबुक पर शेयर करते हुए उन्होंने लिखा कि आज उनका सिस्टम से भरोसा ख़त्म हो गया है.

अपनी आपबीती बताते हुए प्रणय ने लिखा:

मैं रात के ढ़ाई बजे अंधेरी से खारघर को ओर जा रहा था, मुझे ठीक-ठीक रास्ता मालूम नहीं था. सांताक्रूज़-चैंबूर लिंक रोड पर मैंने साइनबोर्ड पढ़ने के लिए अपनी गाड़ी की रफ़्तार थोड़ी कम की. मेरी बगल की लेन में चल रहे एक बाइक सवार ने मुझसे कुछ कहा, लेकिन मैं सुन नहीं पाया. मैंने गाड़ी रोक कर उनसे पूछना चाहा, तो उन्होंने मुझसे बदतमीज़ी की, तभी मेरी नज़र उनकी बाईक पर पड़ी, तो मुझे पड़ा कि वो पुलिस वाले हैं. मैंने पूछा कि आप पुलिस वाले हैं? उन्होंने कहा- पुलिस वाला हूं, तो क्या कर लेगा? मैंने अपने फ़ोन से उनकी फ़ोटो ले ली और मैं जब कार में बैठने लगा, तो उसने बाइक से एक छड़ी निकाली और मुझ पर हमला कर दिया.

प्रणय ने उस पुलिस वाले के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज़ करवा दी है, लेकिन उन्होंने फ़ेसबुक पर लिखा कि जिस सिस्टम का हम हिस्सा हैं, वहां मुझे न्याय मिलना कठिन है. पुलिस वाले की पिटाई से भले ही प्रणय मामूली चोट आई हों, लेकिन एक गंभीर प्रश्न ये है कि ऐसी घटनाएं उनका सिस्टम से विश्वास तोड़ देती हैं.

अपने पद और ताकत के बल पर आम नागरिकों को परेशान करने की ये इकलौती घटना नहीं है. ऐसी कई घटनाएं इस देश में होती हैं, जिनमें पीड़ितों को समय पर न्याय नहीं मिलता. शायद यही वजह है कि प्रणय जैसे लोगों का भरोसा उस सिस्टम से उठ जाता है, जो उनके टैक्स के पैसे पर फलता-फूलता है.