पोपटराव बागुजी पवार को अपने सूखे पड़े गांव को बदलने के लिए पद्म श्री सम्मान के लिए चुना गया है.
जब सन 1989 में महारष्ट्र के हिवरे बाज़ार गांव के सरपंच के रूप में उन्हें चुना गया था, तब गांव बेहद ही ख़राब स्थिति से गुज़र रहा था. पूरा गांव सूखा, कम कृषि उपज, कम साधन और शराब जैसी कई अन्य परेशानियों से जूंझ रहा था.
Culture Tip के अनुसार, हिवरे बाज़ार को उस साल 15 इंच से भी कम बारिश नसीब हुई थी जिसके चलते गांव सूखा पड़ गया. यह पवार की ही नीतियां थीं जिसने गांव को दोबारा विकास के पहिए पर चढ़ाया.
पवार, अन्ना हज़ारे से ख़ासा प्रेरित थे. उन्होंने गांव में पानी बचाने के विभिन्न तरीकों को अपनाना शुरू कर दिया. साथ ही उन्होंने गांव में लाखों पेड़ भी लगाए जिसने हिवारे बाज़ार को आज एक ‘ग्रीन मॉडल विलेज’ बना दिया है.
1990 में मात्र 90 कुएं होने से लेकर आज गांव में 294 से ज़्यादा कुएं हैं. पवार ने गांव में शराब भी बैन कर दी थी साथ ही शादी से पहले HIV का टेस्ट करवाना ज़रूरी कर दिया.
Nation’s Jewels: Meet our unsung heroes, kind and selfless souls, who have contributed to the society in the true spirit.
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) January 28, 2020
Truly deserving of the Padma Shri award, their extraordinary lives and desire to transform the nation will inspire generations to come. pic.twitter.com/sa3vKF6qhk
पवार की इन सभी नीतियों ने हिवरे बाज़ार को एक आत्मनिर्भर, स्वच्छ और हरे-भरे गांव में बदल दिया.