भारत में जातिगत आधार पर भेद-भाव ग़ैरक़ानूनी है. अनुसूचित जाति और जनजातियों की रक्षा के लिए कई क़ानून बनाये गये हैं लेकिन उनके ख़िलाफ़ अपराधों की संख्या में कमी नहीं आई है.
आज भी शादी के लिए सबसे पहले जाति ही देखी जाती है. 2020 में एक नई बात पता चली है कि खेल-कूद में भी जाति देखी जा रही है. सोशल मीडिया पर एक पोस्टर वायरल हो गया है. इस पोस्टर में ‘ब्राह्मण क्रिकेट टूर्नामेंट’ का विज्ञापन है.
A exclusive tournament to assert the #brahmin_merit with the support of the brahmin State. pic.twitter.com/uqoIBJF1a9
— Thaiyaan (@thaiyaan) December 27, 2020
News18 की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल इस टूर्नामेंट का आयोजन हैदराबाद में 25 से 26 दिसंबर के बीच किया गया. इस रिपोर्ट के अनुसार इस टूर्नामेंट का आयोजन, स्थानिय अधिकारियों की अनुमति से किया गया और सभी कोविड-19 नियमों का ख़याल रखा गया.
इस टूर्नामेंट में कई नियमों के अलावा एक नियम ये भी था कि खिलाड़ियों को पहचान पत्र लेकर आना है और किसी अन्य जाति के खिलाड़ियों को खेलने की इजाज़त नहीं है.
हमने ब्राह्मण समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए टूर्नामेंट का आयोजन किया. हम किसी भी समुदाय को सपोर्ट करने के लिए टूर्नामेंट आयोजित करते. मुझे इसमें कोई समस्या नहीं दिखती. हम अपने आप को भारतीय समझते हैं, ब्राह्मण नहीं.
आयोजक का ये भी कहना था कि उन्हें पता नहीं था कि उनका टूर्नामेंट पोस्टर इसलिये वायरल हो जायेगा क्योंकि ये ‘ब्राह्मण टूर्नामेंट’ था. आयोजक ने बताया कि आयोजकों में कई दूसरे समुदायों के भी लोग थे और किसी को आपत्ति नहीं थी.
ट्विटर की प्रतिक्रिया-
It will be the most shittiest tournament of all .
— kishan thar کیشن تھر Dalits life matters (@KishanThar) December 27, 2020
But they already have the national cricket team right?
— Angela Ferrão 🏳️🌈 (@Ferraodesigns) December 30, 2020
I don’t believe in putting people in prisons but these people deserve exactly that
— 🏃 (@TheTragicSoul) December 27, 2020
Why lunch? Shouldn’t they be fasting for that extra power.
— spacemanspiff (@ritwmahan) December 27, 2020
Looking forward to the BPL (Brahmin Premiere League)
— Fahad Fossil (@fahadfossil) December 30, 2020
BCCI : Hold my beer 🍻 😂
— Itsurvarun (@itsurvarun) December 30, 2020
In the so called educated and enlightened south India, far away from the cow belt.
— Nobody नास्ति ناچیز (@Tweet_of_Nobody) December 27, 2020
And they say We dont believe in Casteism
— Mahua/ মহুয়া (@mahuadey20) December 28, 2020