उत्तरप्रदेश पुलिस द्वारा स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कन्नौजिया को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मानहानी के आरोप में गिरफ़्तार करने पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार लगाई है और जल्द से जल्द प्रशांत को रिहा करने की बात की है.
कोर्ट ने कहा कि वो प्रशांत द्वारा किए गए ट्वीट की तरफ़दारी नहीं कर रहे लेकिन इसके लिए 22 जून तक हिरासत में रखना भी जायज़ नहीं होगा.
दरअसल कुछ दिनों पहले UP पुलिस पत्रकार प्रशांत को दिल्ली स्थित उनके घर से उठा कर ले गयी. इसका कारण ये दिया गया कि प्रशांत ने ट्विटर पर CM योगी के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक ट्वीट शेयर करने के चार्जेज़ लगे हैं. प्रशांत के ट्विटर अकाउंट से एक वीडियो शेयर किया गया, जिसमें ये लिखा था:
Ishq chupta nahi chupaane se yogi ji pic.twitter.com/dPIexKheou
— Prashant Jagdish Kanojia (@PJkanojia) June 6, 2019
न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और अजय रस्तोगी की वैकेशन बेंच इस मुक़दमे की सुनवाई कर रही थी. न्यायाधीश बनर्जी ने कहा, ‘नागरीक की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है’.
Supreme Court orders immediate release of freelance journalist, Prashant Kanojia who was arrested by UP Police for ‘defamatory video’ on UP Chief Minister. pic.twitter.com/OTr47uEVSu
— ANI (@ANI) June 11, 2019
प्रशांत की गिरफ़्तारी पर सवाल उठाते हुए न्यायाधीश बनर्जी ने कहा, ‘हम उन ट्वीट्स की तरफ़दारी नहीं कर रहे, लेकिन क्या आप इसके लिए किसी को सलाखों के पीछे डाल सकते हैं?’. प्रशांत के ऊपर लगाई गई धाराओं पर जजों ने सवाल उठाए. बता दें कि पत्रकार के ऊपर धारा 505 लगाकर ग़ैरज़़मानती वॉरेंट जारी किया गया था.
फ़ैसले को पढ़ते वक़्त न्यायाधीश बनर्जी ने कहा, ‘तकनीकी कारणों का हवाला देकर हम चुपचाप हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे रह सकते. हम याचिकर्ता के पति को इस आधार पर तरुंत बेल पर रिहा करने का निर्देश देते हैं.’