दिल्ली में जुर्म कम हों, इसलिए पुलिस अपना रही है एक आधुनिक तकनीक. जुर्म होने की सम्भावना बता देने वाला सॉफ्टवेयर मदद करता है, जुर्म होने से पहले ही रोकने में. डिप्टी कमिश्नर ऑफ़ पुलिस (सेंट्रल दिल्ली), मनदीप सिंह रंधावा दफ़्तर पहुंचते ही सबसे पहले कम्प्यूटर ऑन करते हैं और क्राइम मैपिंग सॉफ्टवेयर पर वो जगहें देखते हैं, जहां पर जुर्म होने की सम्भावना अधिक रहती है.

पुलिस कंट्रोल रूम में आने वाली कॉल्स के आधार पर ये सॉफ्टवेयर बताता है कि अपराधिक गतिविधियां कहां अधिक हुई हैं और कहां हो सकती हैं. इससे जानकारी लेने के बाद उस इलाके में तैनात पुलिस कर्मचारियों को सचेत कर दिया जाता है. इससे काफी हद तक चोरी और लूट-पाट जैसी घटनाओं में कमी आई है.

Northbrdgetimes

CMAPS (Crime Mapping Analytics and Predictive System) नाम के इस सॉफ्टवेयर का डाटा 100 नंबर पर आने वाली कॉल्स पर आधारित होता है. इनके आधार पर CMAPS ‘क्राइम हॉट स्पॉट्स’ बता देता है. पहले मैकेनिकल क्राइम मैपिंग के ज़रिये डाटा जमा किया जाता था, जो लगभग 15 दिनों में अपडेट होता था, जबकि CMAPS का डाटा हर तीन मिनट में अपडेट होता है.

Los Angeles, Berlin और Kent जैसे शहरों में भी इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. इसे ‘Predictive Policing’ कहा जाता है.