देश में कोरोना वायरस का संकट बरक़रार है. संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 21 दिन का लॉकडाउन है. पहले से ही सरकार पर संसाधनों की कमी का दबाव है. ऊपर से देशव्यापी लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था की हालत और पतली कर दी है. ऐसे में सरकार ने सोमवार को बड़ा फ़ैसला लेते हुए प्रधानमंत्री समेत सभी कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों की सैलरी में कटौती का निर्णय लिया है.
Indianexpress की रिपोर्ट के मुताबिक़, कैबिनेट मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर ने इस फ़ैसले की जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने तय किया है कि सभी कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों की सैलरी में 30 फ़ीसदी की कटौती की जाएगी. इसके लिए एक अध्यादेश भी जारी किया जाएगा.
जावड़ेकर ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद अधिनियम, 1954 के सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन में संशोधन के अध्यादेश को मंज़ूरी दे दी. 1 अप्रैल, 2020 से एक साल के लिए भत्ते और पेंशन को 30 फ़ीसदी तक कम किया जाएगा.
Union Cabinet approves Ordinance amending the salary, allowances and pension of Members of Parliament Act, 1954 reducing allowances and pension by 30% w.e.f. 1st April, 2020 for a year. pic.twitter.com/afToRH8bfy
— ANI (@ANI) April 6, 2020
सिर्फ़ यही नहीं, बल्क़ि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और सभी राज्यों के राज्यपालों ने स्वेच्छा से सामाजिक ज़िम्मेदारी के तौर पर सैलरी में कटौती का निर्णय लिया है. प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि ये राशि भारत की समेकित निधि में जमा की जाएगी.
इसी के साथ कैबिनेट ने भारत में कोविड 19 के प्रतिकूल प्रभाव के प्रबंधन के लिए 2020-21 और 2021-22 के लिए सांसदों को मिलने वाले MPLAD फंड को अस्थायी तौर पर निलंबित करने का निर्णय लिया है. जावड़ेकर ने कहा, ‘2 साल के लिए MPLAD फंड के 7900 करोड़ रुपए का उपयोग भारत की संचित निधि में जाएंगे.’
बता दें, इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन के बीच वीडियो लिंक के माध्यम से केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में मोदी के अलावा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह भी पीएम के आधिकारिक आवास पर मौजूद थे. मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य अपने कार्यालयों और आवासों से एक वीडियो लिंक के माध्यम से मीटिंग में शामिल हुए.