जब National University of Study and Research in Law (NUSRL) की दो लड़कियां रांची के एक प्राइवेट अस्पताल में रक्तदान करने पहुंची, तो वहां का नज़ारा चौंकाने वाला था.

अस्पताल असुरक्षित तरीके से रक्तदान करवा कर मरीज और रक्तदान करने आये लोगों की ज़िन्दगी से खिलवाड़ कर रहा था. अपने साथियों की मदद से, लड़कियों ने इस पूरे वाकये को रिकॉर्ड करने की सोची, ताकि इस अस्पताल में जो हो रहा है, वो सबके सामने आ सके और लोगों की ज़िन्दगी से खिलवाड़ बंद हो सके.

नियमों के अनुसार, रक्तदान के लिए डोनर को ब्लड बैंक या रक्तदान शिविर में जाना होता है. सीधे तौर पर किसी प्राइवेट अस्पताल को रक्तदान किया जाना अवैध है. साथ ही, रक्तदान से पहले डोनर के खून की पूरी जांच की जाती है. इन सभी नियमों की अनदेखी करते हुए अस्पताल में रक्तदान करवाया जा रहा था.

डोनर को एक व्यक्ति द्वारा एक कमरे में ले जाया गया. उन्हें बताया गया कि वो व्यक्ति झारखण्ड ब्लड बैंक से है. वहां ले जाकर बिना किसी टेस्ट के ही रक्तदान की प्रक्रिया को शुरू किया जा रहा रहा था.

स्टिंग ऑपरेशन में मदद करने वाले शौर्य कृष्णा ने बताया कि अस्पताल में ये भी नहीं देखा जा रहा था कि डोनर को कोई संक्रमण है या नहीं. ये अवैध तो है ही, इससे मरीज और डोनर की जान को भी ख़तरा हो सकता है. झारखण्ड में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत इतनी लचर है कि कई ज़िलों में तो कोई ब्लड बैंक ही नहीं है.

अस्पताल के मालिक शम्भू प्रसाद सिंह ने कहा कि आम तौर पर अस्पताल डोनरों को Rajendra Institute of Medical Sciences (RIMS) जाकर रक्तदान करने को कहता है. ये एक इमरजेंसी केस था, इसलिए झारखण्ड ब्लड बैंक के एक तकनीशियन की मदद से अस्पताल में ही रक्तदान कराया जा रहा था. उन्होंने कहा कि ऐसा अस्पताल में अकसर नहीं होता है.

स्टेट ड्रग कंट्रोलर ऋतू सहाय ने कहा है कि ऐसा होना आम नहीं है और इस मामले की जांच की जाएगी.