गोवा में रेल लाइन के दोहरीकरण और राजमार्ग के विस्तार की योजना का विरोध चल रहा है. इसके तहत रविवार रात से सोमवार सुबह तक लोगों ने चंदोर में विरोध प्रदर्शन किया. लोग चंदोर रेलवे क्रॉसिंग पर रेलवे ट्रैक पर बैठ गए, जिसके चलते कई कोयला ले जारी ट्रेनें रास्ते में ही फंस गईं.
आरोप है कि सरकार की इस परियोजना का लक्ष्य राज्य से कोयला पड़ोसी राज्य कर्नाटक ले जाना है. साथ ही परियोजनाओं के चलते कई हज़ार पेड़ गिराने पड़ेंगे. हालांकि, गोवा सरकार ने कहा कि ये विरोध ‘राजनीति से प्रेरित’ और अनुचित है.
Citizens in #Chandor #Goa protest the whole night y’day against proposed forest destruction for coal transporting &other projects which need over 70K trees 2 be felled in pristine forests
— Tanmay V.S🌈🌴 (@tanmay_shinde99) November 2, 2020
(1/n)#SaveMollem #GoantKolsoNaka #SaveWesternGhats @GretaThunberg @RichaChadha @IamOnir pic.twitter.com/Aea28U1hSW
बता दें, ‘Goyant Kollso Naka ‘ (गोवा में कोयला नहीं चाहते) के बैनर तले सैकड़ों लोग दक्षिण गोवा जिले में 50 किमी दूर स्थित चंदोर गांव में रविवार की रात लगभग 11 बजे एकत्रित हुए और सोमवार सुबह 5 बजे तक विरोध जारी रखा.
परियोजना का विरोध करने वालों को विपक्ष का भी साथ है. कांग्रेस, गोवा फॉरवर्ड पार्टी (GFP) और आम आदमी पार्टी (AAP) सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे रेल दोहरीकरण के ख़िलाफ़ हैं, क्योंकि इसमें भगवान महावीर वन्यजीव अभयारण्य और राज्य की सीमा पर एक राष्ट्रीय उद्यान में पेड़ों की कटाई शामिल है.
विरोध स्थल पर पत्रकारों से बात करते हुए गोवा विधानसभा में विपक्ष के नेता दिगंबर कामत ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार गोवा को कोयला हब में बदलने की योजना बना रही है. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि दक्षिण-पश्चिम रेलवे लाइन पर डबल-ट्रैकिंग की जा रही है ताकि कोयला-हैंडलिंग कंपनियों को मोरमुगांव पोर्ट ट्रस्ट से अपने माल को पड़ोसी कर्नाटक में अपने संयंत्रों तक ले जाने में मदद मिल सके.
हालांकि, गोवा के ऊर्जा मंत्री नीलेश कबराल ने कहा कि कोयले के ख़िलाफ़ आंदोलन ‘राजनीति से प्रेरित’ हैं.
उन्होंने कहा, ‘सरकार का कोल-हैंडलिंग क्षमता बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है. ज़्यादा रेलगाड़ियों को चलाने के लिए रेल डबल-ट्रैकिंग की आवश्यकता होती है. इसका कोल-हैंडलिंग से कोई लेना-देना नहीं है.’
उन्होंने कहा, कोयले को पहले से ही दक्षिण पश्चिम रेलवे के मौजूदा कार्गो वैन में कर्नाटक ले जाया जा रहा है, लेकिन रेलवे लाइन के किनारे रहने वाले लोगों से कोई शिकायत नहीं मिली है.