कृषि क़ानूनों के खिलाफ़ किसान आंदोलन पूरे जोर-शोर से चल रहा है. पिछले 2 हफ़्तों से भी ज़्यादा दिनों से इतनी ठंड में किसानों ने दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डेरा डाला हुआ है. एक तरफ़ वो अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं तो दूसरी तरफ़ उनके इस आंदोलन को बदमान करने की कोशिश भी हो रही है.
Aerial View Of Kundli Border….#istandwithfamers #KisanEktaZindaabaad pic.twitter.com/Ybv06CffSY
— ਗੁਰਮਨਪ੍ਰੀਤ ਸਿੰਘ (@Gurmanps1699) December 15, 2020
इस सब के बीच प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली के कुंडली बॉर्डर पर एक अस्थायी स्कूल शुरू किया है. यहां उन बच्चों को पढ़ाया जा रहा है जो अपने माता-पिता के साथ विरोध स्थल पर आए हैं. इस पहल की शुरुआत पटकथा लेखक, सुरमीत मावी ने कुछ युवा किसानों के साथ मिलकर की है. ‘पंजाब 1984’ की पटकथा लिखने वाली और 62वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार विजेता, सुरमीत मावी आंदोलन की शुरुआत से ही विरोध स्थल पर मौज़ूद हैं.
From langars to education for kids.
— Major D P Singh (@MajDPSingh) December 16, 2020
Productive work even during protests.#FarmersProtests #kisanandolan pic.twitter.com/ka3hAdDPVi
बच्चों को पढ़ाने के लिए उनकी टीम स्वयंसेवकों की मदद ले रही है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक़ पिछले चार दिनों से कक्षाएं चल रहीं हैं जिनमें लगभग 90 छात्र पढ़ रहें हैं.
पढ़ाने वाले स्वयंसेवकों में पेशेवर शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, डेंटिस्ट और युवा किसान शामिल हैं. प्रदर्शनकारी इस सुविधा को टिकरी बॉर्डर सहित बाक़ी विरोध स्थलों पर भी बढ़ाने की योजना बना रहे हैं.