हमारे देश में पब्लिक टॉयलेट्स (Public Toilets) की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. ख़ास तौर पर महिलाओं को पब्लिक टॉयलेट्स का इस्तेमाल बेहद सोच-समझ कर करना पड़ता है. उन्हें डर रहता है कि कई इसके यूज़ करने से उन्हें UTI यानि यूरिन इंफ़ेक्शन न हो जाए. अगर टॉयलेट साफ़-सुथरे हों, तो इसका डर शायद कुछ कम भी लगे. लेकिन आमतौर पर हर महिला को अपनी ज़िंदगी में ऐसी कंडीशन ज़रूर फ़ेस करनी पड़ी होगी, जहां उसका पब्लिक टॉयलेट में एंट्री लेते ही मूड ख़राब हो गया होगा. कभी वाशरूम में आसपास टॉयलेट पेपर बिखरे पड़े होते हैं, तो कभी उसका फ़्लश बेकार होता है. इसके अलावा ऐसी तमाम गड़बड़ चीज़ें हैं, जो हमें पब्लिक टॉयलेट में देखने को मिल जाती हैं.   

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इन्हीं सारी प्रॉब्लम्स को उजागर करते हुए एक महिला ने ट्विटर पर भारत में पब्लिक टॉयलेट्स (Public Toilets In India) की स्थिति के बारे में बात की है. साथ ही उन्होंने ये भी शेयर किया है कि महिलाओं पर इसका सबसे ज़्यादा प्रभाव क्यूं पड़ता है. 

Public Toilets In India

दरअसल, अंकिता भातखंडे नाम की एक ट्विटर यूज़र ने शेयर किया, 

बतौर एक महिला जिसको ऐसी जॉब में काम करते हुए एक दशक हो गया, जिसमें फ़ील्ड पर होना ज़रूरी है. इस केस में भारत में पब्लिक टॉयलेट की स्थिति भयावह है. हर बार जब भी आप यात्रा करते हों, चाहे कोई भी जगह हों. आपको टॉयलेट जाने से डर लगता है. 

अंकिता आगे बताती हैं कि हालात ख़राब होने के चलते महिलाओं को पब्लिक वाशरूम ना जाने के लिए क्या-क्या चीज़ें करनी पड़ती हैं. वो कहती हैं, “या तो आप कम पानी पीते हैं और डीहाईड्रेशन या बाकी हेल्थ इश्यूज़ को रिस्क में डालते हैं या फिर किसी तरह ख़राब रख-रखाव वाले गंदे टॉयलेट्स को यूज़ करना पड़ता है. किसी में पानी नहीं होता, कोई बिना डस्टबिन के होते हैं और काफ़ी टॉयलेट्स में दरवाजों पर लॉक नहीं लगा होता है.” (Public Toilets In India)

उन्होंने आगे ऐसी बात बताई, जिससे शायद सभी महिलाएं रिलेट कर पाएंगी. 

भारत में हर महिला ने स्क्वाटिंग और उसी समय दरवाज़े को पकड़ने की स्किल सीख़ ली है. यहां तक स-शुल्क शौचालय भी बेहतर नहीं हैं. उसमें फ़र्क बस इतना है कि वहां पानी वाले नल बंद नहीं होते हैं, जिस वजह से वहां के फ़्लोर हर समय गीले रहते हैं (वो आप पर पैसे देने के लिए पानी फेंकते हैं).

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पेट्रोल पंप में वाशरूम होना ज़रूरी है, लेकिन वहां के हालात क्या हैं, इस पर भी अंकिता ने ज़ोर डाला. उन्होंने अपने साथ एक क़िस्सा शेयर करते हुए बताया कि कई पेट्रोल पंप में रेस्टरूम होता ज़रूर है, लेकिन वो परमानेंट लॉक रहते हैं. एक बार उन्हें पब्लिक टॉयलेट यूज़ करना था, तो एक पेट्रोल पंप मैनेजर ने अपना बैक ऑफ़िस खोला ताकि वो रेस्टरूम यूज़ कर सकें. हालांकि, वो ये भी कहती हैं कि ऐसा बहुत मुश्किल से होता है कि हर मैनेजर आपको ऐसा ही मिल जाए.  (Public Toilets In India)

जब महिलाएं बस में ट्रैवल कर रही हों, तो उनके लिए मुश्किलें दोगुनी हो जाती हैं. इस बारे में अंकिता बताती हैं, 

लॉन्ग रूट बस अपनी पूरी जर्नी में सिर्फ़ एक या दो बार रुकती हैं और महिलाओं को पूरे रास्ते अपनी टॉयलेट करने की ज़रूरत को कंट्रोल करना पड़ता हैं. वहीं, दूसरी तरफ़ आदमी कहीं भी हाईवे पर उतरकर ख़ुद को राहत दे सकते हैं. ये सब कब बदलेगा? मुझे नहीं पता. लेकिन दुःख की बात ये है कि ये समस्या काफ़ी बड़ी है और इस पर कोई चर्चा नहीं करता. इस बारे में कोई राजनेता या नौकरशाह बात नहीं करते, क्योंकि वो ज़्यादातर आदमी होते हैं और वो इस “छोटे मुद्दे” के  बारे में सोचने के लिए काफ़ी अमीर हैं.

अंकिता के इस ट्वीट पर काफ़ी लोगों ने अपने रिएक्शन दिए हैं. काफ़ी सारी महिलाओं ने इस प्रॉब्लम से ख़ुद को रिलेट किया है. आइए आपको दिखाते हैं इस पर यूज़र्स की प्रतिक्रियाएं. 

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इस समस्या का जल्द से जल्द निदान किए जाने की ज़रूरत है.