उत्तरप्रदेश के रायबरेली से एक हैरान कर देने वाला किस्सा सामने आया है. दरअसल, सड़कों पर भोजन की तालश में भटकते हुए जिस बुज़ुर्ग को लोग भिखारी समझ रहे थे, वो कर्नाटक का करोड़पति बिज़नेसमैन निकाला. ख़बरों के मुताबिक, बीते 13 दिसंबर को एक बेहद बूढ़ा और लाचार व्यक्ति खाने की तालाश में रालपुर स्थित सूर्य प्रबोध परमहंस इंटर कॉलेज अनगपुरम पहुंचा. बुज़ुर्ग की स्थित काफ़ी ख़राब और दयनीय थी.

वहीं जब स्कूल के संस्थापक स्वामी भास्कर स्वरुप जी की नज़र बूढ़े व्यक्ति पर पढ़ी, तो उनसे उसकी हालत देखी नहीं गई और उन्होंने उसके लिए खाने-पीने का इंतजाम कराया. इसके साथ ही स्वामी भास्कर ने बुज़ुर्ग के लंबे-लंबे बाल कटावा, उसे नहलाया-धुलाया और नए कपड़े पहनने के लिए दिए. जब बुज़ुर्ग के पुराने मैले कपड़े धुले जा रहे थे, तभी कर्मचारियों को कपड़ों से उसका आधार कार्ड, एफ़डी के कागज़ और एक चाभी मिली. एफ़डी की कीमत एक करोड़ 7 लाख रुपये बताई जा रही है.

कर्मचारियों ने इसकी सूचना स्वामी जी को दी. बुज़ुर्ग की पहचान तमिलनाडु के थिरुवनावली निवासी मुथैया नादर के रूप में की गई है. इसके बाद आधार पर दिए गए नबंर से बुज़ुर्ग के घरवालों को संपर्क किया गया. नादर की बेटी गीता ने बताया कि बीते जुलाई उसके पिता तीर्थयात्रा पर निकले थे, इसके बाद से ही वो लापता थे. परिजनों को लगा कि उन्हें किसी ने ज़हरीला खाना खिला दिया या फिर वो किसी गुट का शिकार हो होंगे.

इसके बाद परिजन स्वामी जी को शुक्रिया को कहते हुए नादर को हवाई जहाज़ द्वारा तमिलनाडु ले गए.