कुछ दिन पहले CAG की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ था कि रेलवे का खाना खाने लायक नहीं है, अब रेलवे से जुड़ी एक और चौंकाने वाली ख़बर सामने आई है. इसमें कहा गया है कि रेलवे में दिए जाने वाले, तकिये, कम्बल और चादरें सालों तक धोये नहीं जाते.

इस रिपोर्ट में रेलवे पर साफ़-सफ़ाई का बिलकुल ध्यान न रखने का इलज़ाम लगा है. रिपोर्ट के मुताबिक, 9 ज़ोन के 13 डिपो में तीन साल से कोई कंबल धुला ही नहीं है. वहीं 33 में से 26 डिपो में चादर सालों से बिना धुले चल रही हैं.

शुक्रवार को संसद में पेश सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रेनों में इस्तेमाल होनेवाले लिनेन और कंबलों की सफ़ाई और धुलाई में रेलवे के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. कैग ने अपनी जांच में पाया 2015-16 के दौरान 8 क्षेत्रीय रेलवे के 12 कोचिंग डिपो में 6 से 26 महीनों के अंतराल के बाद कंबल को धोया गया था.

मार्च 2016 में रेलवे बोर्ड ने निर्देश दिए थे कि तकियों की धुलाई प्रत्येक 6 महीने में या ज़रूरत पड़ने पर पहले भी की जानी चाहिए, ताकि प्रत्येक यात्री को साफ़ तकिये उपलब्ध कराए जा सकें. मार्च 2016 से पहले तकिये की धुलाई के संबंध में कोई निर्देश नहीं दिए गए थे.

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नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने लिनेन कपड़ों और कंबलों की सफ़ाई के लिए रेलवे को फटकार लगाई है और मानदंडों को निर्धारित करने के लिए सख्त अनुपालन के लिए एक तंत्र विकसित करने का सुझाव दिया है.

एक ओर तो जनता को बुलेट ट्रेन का सपना दिखाया जा रहा है, दूसरी तरफ लोगों को साफ़ चादरों और खाने लायक खाने जैसी मूलभूत सुविधाएं देने में भी रेलवे नाकाम हो रहा है. बुलेट ट्रेन आये न आये, रेलवे को इन चीज़ों में तो सुधर अवश्य करना चाहिए.