भारतीय रेलवे के बारे में वर्णन करने से पहले मैं कुछ आंकड़ों के आधार पर बात करना चाहता हूं.
- 1,07,969 किलोमीटर लंबी रेल की पटरियां
- 1.25 करोड़ से भी ज़्यादा यात्री सफ़र करते हैं
- मालगाड़ियां 13 लाख टन से ज़्यादा सामान ढोती हैं
- 6,867 रेलवे स्टेशन्स हैं
- 7,500 रेल इंजन हैं
- 2,80,000 से भी ज़्यादा रेलवे डिब्बे
- 16 लाख से भी ज़्यादा कर्मचारी
धरती से चंद्रमा के बीच जितना फ़ासला है, उसका साढ़े तीन गुना फ़ासला हमारी रेलगाड़ियां रोज तय करती हैं. भारतीय रेलवे की जब भी बात करते हैं, तो एक विहंगम दृश्य सामने आ जाता है. भारतीय रेलवे सिर्फ़ परिवहन का एक माध्यम नहीं है, बल्कि इस देश की धड़कन है. जैसे शरीर में रक्त प्रवाहित करने के लिए धमनियां मौजूद रहती हैं, ठीक उसी तरह रेलवे देश के कोने-कोने को आपस में जोड़ता है.
भारत में पहली यात्री ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को महाराष्ट्र में मुंबई से ठाणे तक चलाई गई थी. तब शायद किसी ने ये अहसास नहीं किया होगा कि भारतीय रेलवे भविष्य में यह मुकाम हासिल कर लेगा. आज भारतीय रेलवे रोज नए मुकाम हासिल कर रहा है. आम ट्रेन से लेकर हाई स्पीड ट्रेनें चल रही हैं. मगर इन सबके पीछे एक ऐसा धब्बा है, जो हमें बदनाम करने पर लगा हुआ है.
Factly वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 2009-2015 के बीच में देश में करीब 803 रेलवे दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें लगभग 620 लोगों की मौत हुई और 1855 लोग घायल हुए. वहीं बीबीसी हिन्दी की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 29 ऐसी रेलवे दुर्घटनाएं हुईं हैं, जो काफ़ी भयावह है. इन दुर्घटनाओं में काफ़ी भारी जान-माल की क्षति हुई है.
भारतीय रेलवे के इतिहास में साल 2012 हादसों के मामले से सबसे बुरे सालों में से एक रहा. इस साल लगभग 14 रेल हादसे हुए. अभी हाल में ही कानपुर के पास एक बड़ा रेल हादसा हुआ, जिसमें अब तक 143 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल भी हुए.
सरकार भले ही कुछ भी कह ले, मगर एक हक़ीक़त ये है कि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं और होंगी. हमारे साथ दिक्कत ये है कि हम समस्याओं से सबक नहीं लेते हैं. ना तो हम उसका समाधान खोजते हैं और ना ही उस विषय में बात करना चाहते हैं. रेलवे एक ऐसी संचार व्यवस्था है, जिसे नेता, अफ़सर और आमलोग अपने अनुसार इस्तेमाल करते हैं. नेता इसे वोट बैंक के तौर पर देखते हैं, वहीं अफ़सर अपनी कमाई के तौर पर. जनता का इससे बस इतना स्वार्थ है कि यह सबसे सस्ता साधन है.
दुर्घटना के कारणों को समझने के लिए इन तस्वीरों को देखें.
इन तस्वीरों को देखने के बाद आपको अहसास हो गया होगा कि सबसे ज़्यादा दुर्घटनाएं मानवीय ग़लती के कारण ही होती हैं.
ट्रेन के ड्राइवर्स हों या फिर कंट्रोल रूम, हर जगह अभी भी मैन्युअली काम किया जाता है. इतना ही नहीं, कई ऐसे सवाल हैं, जिनपर सरकार को तुरंत अमल करने की ज़रुरत है.
रेलवे की पुरानी पटरियों पर नई ट्रेनें कैसे चलेंगी?
देश में करीब 13,500 मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग क्यों हैं?
25 सालों में करीब पांच हज़ार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. रेलवे जन-जन को आपस में जोड़ रही हैं, मगर मानवीय जीवन को भी समाप्त कर रही है. आने वाले दिनों में इस देश में कई स्पीड ट्रेने आने वाली हैं, मगर सवाल है कि चलेंगी कहां?