हाल ही में कैग की रिपोर्ट में सामने आया था कि रेल में इस्तेमाल होने वाले कंबलों की हालत बेहद दयनीय है. रिपोर्ट के अनुसार, कई कंबल तो छह महीनों से भी नहीं धुले थे, लेकिन लगता है कि इन खस्ताहाल कंबलों के दिन बदलने वाले हैं.

भारतीय रेलवे ने कंबलों के ज़्यादा बार धुलने और मौजूदा कंबलों को चरणबद्ध तरीके से डिजाइनर और हल्के कंबलों से बदलने के लिए एक कार्य योजना तैयार की है. रेलवे ने राष्ट्रीय फैशन डिज़ाइन संस्थान (निफ्ट) को कम ऊन वाले हल्के कंबल बनाने का काम सौंपा है. पतले, सामान्य पानी से धुलने लायक कंबलों का परीक्षण भी मध्य रेलवे जोन में पायलट परियोजना के तौर पर किया जा रहा है. इसके अलावा इस्तेमाल किए हुए कंबलों को फिर से इस्तेमाल किए जाने से पहले नियमित रूप से साफ किया जाएगा.

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रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कंबलों को अधिक धोने और मौजूदा कंबलों को चरणबद्ध तरीके से नए हल्के और मुलायम कपड़े से बने कंबलों से बदलने की योजना बनाई गई है. उन्होंने कहा कि कुछ खंडों में कंबलों के कवर बदलने का काम शुरू कर दिया गया है और कंबलों को अब एक महीने की जगह 15 दिन और एक सप्ताह में धोने का काम शुरू किया जा रहा है.

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उन्होंने कहा कि ‘हमारा लक्ष्य ट्रेनों में हर यात्रा के दौरान साफ़ लिनन के साथ धुले हुए कंबल मुहैया कराना है.’ फिलहाल लिनन के 3.90 लाख सेट रोजाना मुहैया कराए जाते हैं. इनमें दो चादर, एक तौलिया, तकिया और कंबल शामिल है, जो वातानुकूलित डिब्बों में हर यात्री को दिए जाते हैं.

Source: Scoopwhoop