अगर खुद पर य़कीन हो, तो अंधेरे में भी रास्ते मिल जाते है.

ऐसी ही कुछ कहानी राजस्थान की बालिका वुध की भी है. 20 साल की रूपा यादव, जब महज़ 8 साल की थी और तीसरी कक्षा में पढ़ती थी, तब घरवालों ने उसकी शादी कर दी. 10वीं में पहुंची तो गौना हुआ, ससुराल में रहकर पढ़ाई जारी रखी. डॉक्टर बनने की ठानी और इस साल NEET का एग्ज़ाम पास कर, लाखों-करोड़ों महिलाओं के लिए मिसाल बन गई.

अपनी मेहनत और लगन से सीबीएसई के नेशनल एंट्रेंस एलिजिबिल्टी टेस्ट (NEET) में 603 अंक प्राप्त करने वाली, राजस्थान की ये बहू अब डॉक्टर बनने जा रही है. राजस्थान के करारी गांव की रहने वाली रूपा अपनी इस कामयाबी का पूरा श्रेय अपने पति शकंर यादव और ससुराल वालों को देती हैं. बातचीत के दौरान रूपा ने बताया, ‘अगर मेरे पति और मेरा परिवार मेरे साथ नहीं होता, तो शायद मैं अपनी आगे की पढ़ाई कभी पूरी नहीं कर पाती.’

वाकई खेलने-कूदने की उम्र में घर-गहस्थी संभालने के साथ, अपने सपनों को साकार करना सभी के बस की बात नहीं. रूपा आप उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो अपने आपको कमज़ोर समझकर अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं.

Source : hindustantimes