देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज बेंगलुरु स्थित एचएएल एयरपोर्ट से लड़ाकू विमान ‘तेजस’ से उड़ान भरी. इसके साथ ही राजनाथ सिंह भारत में निर्मित हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) में उड़ान भरने वाले देश के पहले रक्षा मंत्री बन गए हैं.

राजनाथ सिंह की इस के दौरान उनके साथ एयर वाइस मार्शल एन तिवारी भी मौजूद थे. तिवारी वर्तमान में बंगलुरु स्थित ‘एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी’ के नेशनल फ़्लाइट टेस्ट सेंटर में प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लड़ाकू विमान ‘तेजस’ से उड़ान भरने के बाद कहा कि, आज हम इस स्थिति में हैं कि भारत को दूसरे देशों से भी तेजस एयरक्राफ़्ट के ऑर्डर मिल रहे हैं. ये एक स्वदेशी विमान है, इसलिए मेरा हमेशा से ही इसकी उड़ान का अनुभव लेने का मन था. मैंने भी कुछ समय के लिए एयरक्राफ़्ट कंट्रोल किया. इसकी उड़ान काफ़ी आरामदायक थी, इसके करतब को देखकर मैं कह सकता हूं कि हमें हमारे देश के वैज्ञानिकों, डीआरडीओ और सभी संस्थानों पर गर्व होना चाहिए.
Flying on ‘Tejas’, an Indigenous Light Combat Aircraft from Bengaluru’s HAL Airport was an amazing and exhilarating experience.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 19, 2019
Tejas is a multi-role fighter with several critical capabilities. It is meant to strengthen India’s air defence capabilities. pic.twitter.com/jT95afb0O7
ये हैं स्वदेशी ‘तेजस’ की विशेषताएं
‘तेजस’ एक लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ़्ट है. 1350 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से फ़र्राटे भरने तेजस का वजन 12 टन और लंबाई 13.2 मीटर जबकि, ऊंचाई 4.4 मीटर है. दुश्मनों के विमानों से निपटने के लिए इस्तेमाल होने वाला इसका ‘मिशन कम्प्यूटर’ भारतीय तकनीक पर आधारित है.

मिग 21 की जगह लेगा ‘तेजस’
‘तेजस’ में फ़्लाई बाई वायर सिस्टम है. इसके ज़रिए विमान को उड़ाने में सहायक कम्प्यूटर नियंत्रित इनपुट्स मिलते हैं. जो पूरी तरह भारतीय तकनीक है. प्लेन में लगा मुख्य सेंसर पायलट को ज़मीन से हवा में मार करने वाली दुश्मन जेट्स या मिसाइल के बारे में जानकारी भी देगा. ये सेंसर भी भारत में ही बना है. इस लड़ाकू विमान में आर-73 एयर टू एयर मिसाइल, लेजर गाइडेड मिसाइल और बियांड विजुवल रेंज अस्त्र मिसाइल लगाई जा सकती हैं. ‘तेजस’ को बनाने में भारत निर्मित कार्बन फ़ाइबर का इस्तेमाल किया गया है.

स्वदेशी कहा जाने वाला ‘तेजस’ है आधा विदेशी
एचएएल द्वारा स्वदेश में निर्मित एक एयरक्राफ़्ट ‘तेजस’ को बनाने में लगभग 300 करोड़ रुपये का ख़र्च आया है. भारतीय टेक्नोलॉजी इस्तेमाल होने के बावजूद इस लड़ाकू विमान का इंजन अमेरिकी है, रडार और वेपन सिस्टम इजरायल का और इजेक्शन सीट ब्रिटेन का है.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तेजस लड़ाकू विमान का नामांकरण किया था. जिसका मतलब है ‘सबसे तेज़’