महिलाओं पर होते अत्याचार की ख़बरें आये-दिन सुनने और पढ़ने को मिलती हैं, लेकिन उनके खिलाफ़ हो रहे अपराधों को रोकने के लिए किसी सार्थक पहल के बारे में विरले ही सुनने को मिलता है. पिछले कुछ दिनों से पूरे देश से छोटी बच्चियों के साथ रेप की वारदातें सामने आ रही हैं. ऐसी वारदातों पर लगाम लगाने के लिए मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान सरकार ने भी रेप जैसे घिनौने अपराध के दोषी को फांसी की सज़ा देने के लिए कानून पेश किया है.
दरअसल, राजस्थान की विधानसभा में एक बिल पेश किया गया है, जिसके मुताबिक प्रदेश में 12 साल या उससे कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप करने वाले को फांसी की सज़ा देने की बात कही गई है. अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार, पिछले साल एमपी सरकार द्वारा पास किये गए रेप के कानून को स्टडी कर रही है और इसी के जैसा ही बिल पास करने जा रही है. इस लॉ के बनने के बाद वहां पर इस तरह के अपराधी को सीधे फांसी पर चढ़ाने का रास्ता साफ़ हो जाएगा.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान देश में महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों के हिसाब से पांचवे स्थान पर था. इनमें से 3656 रेप के मामलों में से 49 केस 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के शोषण के थे.
इसी आंकड़े को ध्यान में रखते हुए वसुंधरा राजे ने प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ़ हो रहे अपराधों को रोकने की पहल की है, जिसका नतीजा ये बिल है. बहरहाल, आये-दिन बढ़ते रेप के ग्राफ़ को नीचे लाने के लिए इस तरह के कानून का होना आवश्यक है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर इस कानून में उम्र की सीमा क्यों रखी गई है? रेप तो रेप होता है, चाहे वह किसी भी उम्र की महिला के साथ क्यों न हो. इस तरह के कुकृत्य को अंजाम देने वाले हर अपराधी को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए.