आंखों में सपने हो और दिल में उन सपनों को पूरा करने का इरादा, तो इंसान कुछ भी कर सकता है. ऐसे ही खुले आसमान में पंख फैला कर उड़ने का सपना एक शाइस्ता वाइज़ ने देखा, जो अफ़गान युद्ध के समय एक अमरीकी रिफ़्यूजी कैंप में पैदा हुई थीं. इसी कैंप में रहते हुए शाइस्ता ने सपने देखने शुरू किये और सबसे कम उम्र की वो महिला बन गई, जिसने दुनिया का अकेले चक्कर लगाया हो.
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शाइस्ता ने अपने सफ़र की शुरुआत Daytona Beach से की थी और 25,800 किलोमीटर की दूरी को तय करते हुए शनिवार को अपनी यात्रा को विराम दिया. अपने सफर के दौरान शाइस्ता हिंदुस्तान, स्पेन, मिस्र समेत कुल 18 देशों से गुज़री.
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अपने सपनों को पूरा कर चुकी शाइस्ता का कहना है कि ‘ये काफ़ी मुश्किलों भरा सफ़र था. मैं अपने ख़्वाब को पहचान चुकी थी, पर इसके लिए मुझे बहुत पढ़ना था. मैंने मैथ्स पर ज़ोर देना शुरू किया और दुनिया को दूसरी नज़र से देखने लगी.’
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सिविल पायलट का लाइसेंस लेने के बाद शाइस्ता ने इंटरनेशनल सिविल एविएशन आर्गेनाइजेशन का रुख किया, जिसने उनके इस सपने को सच करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
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इंटरनेशनल सिविल एविएशन आर्गेनाइजेशन के मुताबिक पूरी दुनिया में महिला पायलट की संख्या केवल 5% ही है. ऐसे में महिलाओं को प्रेरित करने के लिए इससे अच्छा मौका और क्या हो सकता है.