ख़बरों से ख़बरदार रहने की ज़रूरत है. काहे कि बाहर का प्रदूषण भले ही कम हो गया हो, मगर न्यूज़ की नोज़ का विषैली हवा में अनुलोम-विलोम जारी है. यूं तो ये काम कई कर रहे हैं, लेकिन ताज़ा उदाहरण Republic TV का है! 

दरअसल, सोशल मीडिया पर तगड़े से गंध मचाई जाती है. एक के बाद एक फ़ेक न्यूज़ दौड़ती हैं. यही लिए दुनिया को फ़ेक न्यूज़ के जाल से बचाने की ज़िम्मेदारी बड़े-बड़े मीडिया संस्थानों ने अपने हद से ज़्यादा नाज़ुक कंधों पर ले ली. 

फिर हुआ वही, जिसका डर था. आए दिन रायता समेटने के चक्कर में अब ख़ुद ही रायता फैलाने लगे हैं. ख़ैर ज़्यादा ज्ञान न देते हुए आपको ये रायता चखाते हैं. सॉरी…सॉरी…सॉरी. मतलब न्यूज़ दिखाते हैं. 

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अब जित्ता इंतज़ार कभी ख़ुशी, कभी ग़म में जया बच्चन, शाहरूख ख़ान का नहीं करती थीं, उससे कई ग़ुना ज़्यादा ट्विटर पर ऐसी तफ़री के लिए चटिया जमी रहती है. फिर वही हुआ, जो होना था. 

अब अगला फ़ैक्ट चेक आप लोग करिए. बताइए… 

सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है. 

सारी ही की नारी है कि नारी की ही सारी है.