कुछ साल पहले सोशल मीडिया पर एक बच्चे का वीडियो ख़ूब वायरल हो रहा था, जिसमें बच्चा एक के बाद एक सिगरेट पीता हुआ दिखाई दे रहा है. इस बच्चे का नाम अलदी रिज़ाल था. आज अलदी 8 साल का हो चुका है और सिगरेट से भी तौबा कर चुका है. इस बारे में अलदी का कहना है कि ‘ये सब इतना आसान नहीं था, सिगरेट न पीने की वजह से मेरे मुंह का स्वाद खट्टा-सा होने लगता था और मुझे चक्कर आने लगते थे.’ सिगरेट छोड़ चुका अलदी अब कहता है कि ‘अब मैं काफ़ी ताज़ा महसूस करता हूं.’

वहीं अलदी की मां डायना उन दिनों को याद करते हुए कहती है कि ‘सिगरेट न मिलने पर अलदी गुस्सा हो जाता था, चीज़ें इधर-उधर फेंकने लगता था. कई बार ख़ुद को चोट पहुंचाने के लिए वो अपना सिर दीवार पर मार देता.’ डायना बताती हैं कि लोग मुझे भला-बुरा कहते थे और मेरी परवरिश पर सवाल करते थे. इस बारे में डायना का कहना है कि ‘मैं काफ़ी कमजोर मां हूं. पैसे न देने पर वो मुझे मारता था. कहीं मेरा बेटा कुछ ग़लत न कर ले, इस वजह से मैं उसे पैसे दे देती थी.’

अलदी अपने तीन भाइयों में सबसे छोटा है, जो इस आदत का शिकार हो गया था. अकेले इंडोनेशिया में हर 267,000 बच्चों में 3 बच्चे ऐसे होते हैं, जो तम्बाकू का सेवन करते हैं.

अलदी को कैसे लगी स्मोकिंग की लत?

इस बारे में डायना का कहना है कि वो हर सुबह सब्ज़ी बेचने के लिए बाज़ार जाती थीं, जहां लोग सिगरेट पीते हुए दिखाई देते थे. यहीं लोगों ने अलदी को सिगरेट पीना सीखा दिया और बाज़ार में उसे आसानी से सिगरेट मिलने लगी.

दुनिया के कई हिस्सों में सिगरेट पीने वाले मिल जाते हैं, पर इंडोनेशिया में इनकी तादाद बाकी हिस्सों से काफ़ी ज़्यादा है. यहां अन्य देशों की तुलना में सबसे ज़्यादा सिगरेट पीने वाले मर्दों की संख्या है, जिसकी वजह यहां सिगरेट विज्ञापनों पर प्रतिबंध न होना और इनके रेट कम होना भी है.

आज भले ही अलदी स्मोकिंग से दूर हो गया है और स्कूल जा कर पढ़ाई कर रहा है, पर इसके लिए उसे एक लम्बा वक़्त पुनर्वास केंद्र में बिताना पड़ा था, जहां नेशनल कमीशन फ़ॉर चाइल्ड प्रोटेक्शन के चेयरमैन और चाइल्ड साइकोलोजिस्ट डॉ. सेतो मूल्यादि ने उसे अपने निरीक्षण में रखा.

वो कहते हैं कि ‘इसकी राह भी आसान नहीं थी. पहले हमने उसकी सिगरेट की आदत छुड़वाई, उसके बाद खाने को उसकी डाइट में शामिल करने लगे. इसका दूसरा चरण घर पर उसकी निगरानी रखना था, कि वो वहां भी हेल्दी खाना लेता रहे.’

मूल्यादि का विश्वास है कि इस उम्र के बच्चों के मानसिक विकास तेज़ होता है, जिसकी वजह से वो जल्दी स्मोकिंग छोड़ने में कामयाब रहते हैं. अलदी के केस में भी कुछ ऐसा ही हुआ है, जिसकी वजह से उसे स्मोकिंग से जल्दी दूर कर पाना संभव हुआ है. इसके लिए अलदी को जाकर्ता भेजा गया, जहां कई महीनों तक हर दिन उसे साइकोलोजिस्ट की निगरानी में रखा जाता था. अलदी का कहना है कि ‘मैं सिगरेट पी कर बीमार नहीं पड़ना चाहता. मैं आपसे भी कहता हूं कि आप भी स्मोकिंग से दूर रहिये, क्योंकि इस छोड़ पाना बहुत मुश्किल होता है.’

Tobacco Atlas की 2013 की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडोनेशिया में 57% से ज़्यादा आदमी सिगरेट पीते हैं, जिनमें से 42% 13 से 15 साल की उम्र के बच्चे हैं. रिपोर्ट ने ये भी कहा है कि हर साल स्मोकिंग की वजह से इंडोनेशिया में करीब 217,000 लोग कैंसर और सांस की बिमारियों का शिकार हो जाते हैं, जिनमें से अधिकतर की मौत हो जाती है.

इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय के डायरेक्टर Dr. Lily Sulistyowati का कहना है कि ‘बीते कुछ वर्षों में देश में स्मोकिंग करने वालों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है, जो वाकई चिंता का विषय है. स्मोकिंग करने वाले लोगों में 15 से 19 साल के बच्चे भी शामिल हैं, जिसे ले कर मैं भी काफ़ी परेशान हूं.’ Sulistyowati कहती हैं कि ‘ग्रामीण इलाकों में ये समस्या कुछ ज़्यादा ही गहरी है, जहां लोग सिगरेट पर ज़्यादा पैसा ख़र्च करते हैं.’

2013 में आई सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ स्टेटिस्टिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, शहरी लोगों ने अपनी आमदनी का 7.1% हिस्सा तम्बाकू के पत्तों पर ख़र्च किया. वहीं ग्रामीण इलाकों में इसकी दर 12.5% तक रही. ये रिपोर्ट बताती है कि दूध और मांस की तुलना में ये प्रतिशत 15.5% और 12.5% से भी ज़्यादा देखने को मिला.

Sulistyowati का कहना है कि ‘ग्रामीण इलाकों में गरीबी बहुत ज़्यादा है, जिसकी वजह से माता-पिता काम करने के लिए बच्चों को घर छोड़ जाते हैं, जिसकी वजह से बच्चे आसानी से सिगरेट की तरफ़ चले जाते हैं.’

वहीं Indonesian Pediatric Society के प्रेजिडेंट Dr. Aman Pulungan का कहना है कि ‘यहां बच्चे छोटी उम्र में ही काम करना शुरू कर देते हैं और दूसरों की देखा-देखी सिगरेट पीना शुरू कर देते हैं. स्मोकिंग की आदत देश में कुछ ऐसे फ़ैल गई है, जैसे जन-जीवन का हिस्सा बन गया हो.

राजधानी जकार्ता में रहने वाली 16 वर्षीय Icha ने 13 साल की उम्र में एक दोस्त के कहने पर सिगरेट पीना शुरू किया था. शुरुआत में उसे कुछ दिक्क्तें भी आईं, पर बाद में उसे भी इसमें मज़ा आने लगा. Icha हर दिन करीब 12 सिगरेट पी जाती थीं. हालांकि माता-पिता की सख्ती के बाद इसकी संख्या में कुछ कमी ज़रूर आई है, पर अब भी सिगरेट की लत पूरी तरह से छूटी नहीं है.