चाबुक चलाने, कोड़े बरसाने या किसी पर अत्याचार करने की बात आती है तो सबसे पहले हमारे दिमाग़ में पुरूषों की एक भयानक सी छवि आती है क्योंकि हम कई सालों से यही सुनते और देखते आ रहे हैं कि पुरूष अत्याचार करते हैं और महिलायें सहती हैं. इसलिए हमारा दिमाग़ उसी के आधार पर सोचता है. मगर एक नई खोज से पता चला है कि सदियों पहले शिकार हो या अत्याचार सिर्फ़ पुरूष ही नहीं करते थे, बल्कि महिलाएं भी इस कुकृत्य में शामिल थी.

2018 में Wilamaya Patjxa (वर्तमान पेरू) में हुई खुदाई के दौरान की गई एक खोज के अनुसार,
खुदाई में 17-19 साल की एक लड़की का शरीर दफ़न मिला, जिसका शरीर पत्थर की कलाकृति जैसा लग रहा था और हाथ में चाकू था, जिसका किसी भी जानवर को काटने के लिए उपयोग किया जाता है. लड़की की हड्डियों से ये पता चला कि वो मांसाहारी थी.

कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस के मानवविज्ञानी Randy Haas, ने एक स्टडी के अनुसार बताया,
हमारे निष्कर्षों ने मुझे शिकारी समूह के बारे में दोबारा सोचने पर मजबूर किया. सभी ऐतिहासिक और समकालीन कहानियों के बीच यही देखने को मिला कि पुरूष शिकारी होते थे और महिलाएं उस शिकार किए गए जानवर को इकट्ठा करती थीं. इस वजह से पश्चिमी समाज में महिलाओं को जो काम दिए जाते थे, उसके अनुसार महिलाओं का शिकार करना उनके अनुरूप नहीं था. मगर पुरातात्विक पैटर्न के अनुसार हमें इस बात को जानने में मदद मिली कि महिलाएं भी शिकार कर सकती हैं.

इस खोज के साथ, शोधकर्ताओं ने ये पता लगाने के लिए एक स्टडी की क्या ये सच है कि उस समय शिकारी ज़्यादा महिलाएं थीं. Pleistocene और Holocene के रिकॉर्ड के अनुसार, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में खोदे गए 107 दफ़न वाली जगहों में 429 व्यक्तियों को दफ़नाया गया था. इनमें से 27 को शिकार के औज़ार के साथ दफ़नाया गया था और उनमें से 11 असल में महिलाएं थीं.
शोधकर्ताओं के अनुसार,
ये स्टडी इस बात पर पहुंचती है कि महिलाओं ने उस युग के दौरान शिकार जैसे खेल में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया.