हमारे पुरखे कह गए हैं कि स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखना पड़ता है. इसकी हमेशा देख-भाल करनी पड़ती है. नहीं तो आज़ादी कब आपकी नाक के नीचे से निकल जायेगी आपको भनक भी नहीं होगी.
इस स्वतंत्रता दिवस आइये जानते हैं उन RTI एक्टिविस्ट्स के बारे में जो पूछ रहें हैं ज़रूरी सवाल:
1. साकेत गोखले
मुंबई के रहने वाले साकेत गोखले हाल ही में सुर्ख़ियों में तब आए जब गृह मंत्रालय ने उनके RTI का जवाब देते हुए कहा कि उसे ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ के बारे में कोई जानकारी नहीं है. गोखले के अनुसार पिछले 2 सालों में उन्होंने 40-45 से ज़्यादा RTI दायर किया है.
2. सुभाष चंद्र अग्रवाल
राष्ट्रीय RTI अवॉर्ड से सम्मानित सुभाष चंद्र अग्रवाल एक वो RTI एक्टिविस्ट हैं जिन्होंने मुख्य न्यायाधीश के दफ़्तर (CJI Office) को सूचना के अधिकार कानून (RTI) के दायरे में लाने की मुहीम चलाई और इसमें सफ़ल भी रहे. इससे पहले उन्होंने 2G घोटाले का भी पर्दाफ़ाश किया था.
वो रेल मंत्रालय के सामने ताज एक्सप्रेस ट्रेन के अनियमित समय के बारे में आवाज उठा चुके हैं. उन्होंने अबतक अख़बारों को 3700 से ज्यादा पत्र लिखे हैं, जिनमें कई प्रकाशित भी हुए हैं. इनके नाम पर सबसे अधिक संख्या में संपादक के नाम पत्र प्रकाशित होने का गिनिज रिकॉर्ड भी है. राजनीतिक पार्टियों को RTI के दायरे में लाने में इनकी अहम भूमिका रही है. एक अमेरिकी स्वयंसेवी संगठन ने 2015 में सुभाष चंद्र अग्रवाल को जिराफ़ हीरो पुरस्कार से सम्मानित किया था.
3. विजय कुंभार
विजय कुंभार पुणे के एक जाने-माने RTI एक्टिविस्ट और पत्रकार हैं. वो पिछले 30 सालों से पत्रकारिता और सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं. वो अब तक 80 से ज़्यादा RTI डाल चुके हैं. उन्होंने कई प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ काम भी किया है.
4. सिमरप्रीत सिंह
मिलिए सिमरप्रीत सिंह से जिन्होंने आदर्श आवास घोटाले को सामने लाने में अहम भूमिका निभाई थी. एक्टिविज़्म की दुनिया में कदम रखने से पहले ये इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे. मुंबई के सबसे सम्मानित और विश्वसनीय कार्यकर्ताओं में गिने जाने वाले सिमरप्रीत सिंह मूल रूप से पंजाब के हैं.
2006 से ही आदर्श आवास घोटाले को सामने लाने के लिए इन्होंने काफ़ी प्रयास किये. सिमरप्रीत ने 10 से ज़्यादा RTI आवेदन की मदद राजनेताओं, नौकरशाहों और सैन्य अधिकारियों के बीच सांठगांठ को उजागर किया, जिसके कारण अंततः महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को इस्तीफा देना पड़ा. फ़िलहाल वो जन जागृति संघर्ष समिति में शामिल है जो सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) और दूसरे कल्याणकारी उद्देश्यों को लेकर कार्यरत है.
5. वेंकटेश नायक
वेंकटेश सरकारी तंत्र में पारदर्शिता लाने के लिए काफ़ी वक़्त से काम कर रहें हैं. 2016 में नायक के द्वारा दायर की गई RTI से ही पता चला था कि Demonetisation को लेकर RBI केंद्र सरकार के इस तर्क से सहमत नहीं था कि इस कदम से काले धन और नकली धन के प्रचलन पर रोक लग जायेगी. नायक फ़िलहाल Commonwealth Human Rights Initiative में प्रोग्राम हेड के तौर पर काम कर रहें हैं.
आज़ादी के जश्न में RTI एक्टिविस्ट्स के योगदान को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है.