ट्रांसजेंडर समुदाय को वर्षों से गंभीर भेदभाव और प्रणालीगत असमानता का सामना करना पड़ा है, और यह आज भी जारी है.   

समुदाय के प्रति इस भेदभाव को मिटाने की तरफ क़दम रखते हुए, केरल के पलक्कड़ शहर में ‘Oruma‘ (मलयालम में एकता का अनुवाद) नाम की एक कैंटीन है जो की 10 ट्रांस महिलाओं द्वारा चलाई जाती है.  

दिसंबर 2019 में शुरू हुई ये कैंटीन आज लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है.  

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राज्य में अपनी तरह की यह पहली कैंटीन है. मीरा(यूनिट की अध्यक्ष), सूजी (यूनिट के सचिव), उन्नीमया, सलमा, मंजू, काला, मोनिमा, वर्षा नंदिनी, श्रीदेवी और रेम्या द्वारा चलाई जाती है.  

सभी दस सदस्यों को कुदुम्बश्री, केरल राज्य सरकार के ग़रीबी उन्मूलन और महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के तहत विभिन्न प्रकार के भोजन तैयार करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है.  

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ट्रांस होने की वजह से इनमें से कई को अपना घर छोड़ना पड़ा. कहीं नौकरी या काम न मिलने की वजह से कुछ ने जीवन यापन के लिए सेक्स वर्कर का भी काम किया. ऐसे में ओरुमा इन ट्रांस महिलाओं के लिए अपनी पहचान और सम्मान से जीवन जीने के लिए एक आशा की किरण बन कर आया. 

कुदुम्बश्री, पलक्कड़ की कोऑर्डिनेटर बताती हैं, ‘ज़िला प्रशासन ने कैंटीन के लिए जगह उपलब्ध कराई. इस परियोजना को पलक्कड़ ज़िला पंचायत की वार्षिक योजना में शामिल किया गया और अब इसे प्रति दिन 9,000 से 10,000 रुपये की औसत बिक्री मिलती है.’  

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सलमा जो ओरुमा से पहले कई अजीबो-ग़रीब काम करती थी कहती हैं, 

लोग ट्रांस लोगों को नौकरी देने के काफ़ी अनिच्छुक होते हैं क्योंकि यहां बहुत सारे पूर्वाग्रह मौजूद हैं. लेकिन ओरुमा में शामिल होने के बाद, मैंने देखा है कि लोगों ने हमें अधिक सम्मान के साथ देखना शुरू कर दिया है और इस तरह की प्रतिक्रिया से जो आराम और शांति मिलती है वो हमारे द्वारा यहां कमाए गए रुपयों से भी अधिक मूल्यवान है.

ओरुमा में काम सुबह 10 बजे से शुरू हो जाता है और शाम को 6 बजे तक चलता है. सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन और शाम के नाश्ते से लेकर अलग-अलग प्रकार के व्यंजन मौजूद है. जिसमें की अधिकतर प्रतिष्ठित स्थानीय पसंदीदा हैं.