Russia Ukraine War: जंग दो देश के लीडर लड़ते हैं, मगर उसकी क़ीमत आम नागरिकों को चुकानी पड़ती है. इस वक़्त रूस और यूक्रेन की जंग में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. रूसी सैनिक यूक्रेन में दाख़िल हो चुके हैं. लगातार हमले किए जा रहे हैं. रूस ने इसे ‘स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन’ नाम दिया है. रूस के मुताबिक़ ये हमला यूक्रेन पर नहीं, बल्कि उसके सैन्य ठिकानों पर है.
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इस बीच लाखों यूक्रेनी नागरिक अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हो गए हैं. इनमें कई भारतीय भी शामिल हैं. ये लोग ख़ुद को बचाने के लिए बॉम्ब शेल्टर (Bomb Shelters) में पनाह ले रहे हैं. भारत सरकार की तरफ़ से भी एडवाइज़री जारी की गई थी, जिसमें कहा गया था कि जब भी सायरन बजे, तो यूक्रेन में रह रहे भारतीय नागरिक बॉम्ब शेल्टर में चले जाएं. इसके लिए वो गूगल मैप्स की मदद लें.
Embassy of India in Ukraine in its third advisory asks Indian nationals to head to bomb shelters if they are at places where air sirens/bomb warnings can be heard pic.twitter.com/YmHGZrnZwt
— ANI (@ANI) February 24, 2022
मीडिया और सोशल मीडिया पर भी बॉम्ब शेल्टर में रह रहे लोगों की तस्वीरें सामने आ रही हैं-
आप हालात का अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं कि एक 23 साल की महिला को इन बेहद मुश्किल हालात में बॉम्ब शेल्टर में ही अपने बच्चे को जन्म देना पड़ा है. फ़ेसबुक पर बच्चे की फ़ोटो भी शेयर की गई है.
मगर इस बीच बहुत से लोगों के ज़ेहन में ये सवाल है कि आख़िर ये बॉम्ब शेल्टर (Bomb Shelters) होते क्या हैं?
क्या होते हैं बॉम्ब शेल्टर (Bomb Shelters)?
बॉम्ब शेल्टर जंग के दौरान आश्रय के लिए बनी जगह को कहते हैं. आमतौर पर ये एक ऐसी बंद जगह होती है, जो लोगों को बम और मिसाइल जैसे विस्फ़ोटक हमलों के दौरान बचाने के लिए बनाई जाती है. ये एक ऐसा कमरा या एरिया हो सकता है, जो अंडरग्राउंड हो. ख़ासतौर से जिसे बमों के प्रभाव से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया जाता है. हवाई हमलों के दौरान लोग यहां शरण लेकर अपनी जान बचा सकते हैं.
कहां बने हैं ये बॉम्ब शेल्टर?
इस वक़्त सबसे ज़्यादा हमले यूक्रेन की राजधानी कीव के आसपास में ही हो रहे हैं. पूरे शहरभर में बॉम्ब शेल्टर नहीं बने हैं. किसी भी देश में ये बड़ी तादाद में नहीं होते हैं. मगर फिर भी कुछ ऐसी जगह होती हैं, जो शरण स्थल के तौर पर इस्तेमाल की जा सकती है. कीव में लोग ऐसा कर रहे हैं.
ऐसे में कीव के लोग मेट्रो स्टेशन्स का इस्तेमाल बॉम्ब शेल्टर (Bomb Shelters) के तौर पर कर रहे हैं. कुछ जगहों पर फ़्लाइओवर का भी इस्तेमाल हो रहा है. लोग अपने घरों से बेसमेंट का भी इसके लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. सायरन बजते ही वो अपने बेसमेंट जाकर छिप जाते हैं, ताकि अगर बिल्डिंग पर बम या मिसाइल अटैक हो, तो वो सुरक्षित रह सकें.