आपने अभी तक आर्टिफ़िशल सैटेलाइट के बारे में पढ़ा होगा या जाना होगा, लेकिन आज के बाद आप ‘आर्टिफ़िशल स्टार’ यानि नकली सितारे के बारे में भी जान लेंगे. बीती 14 जुलाई को रूस के Baikonur स्पेसपोर्ट से Soyuz 2.1a रॉकेट के ज़रिए दुनिया का पहले नकली सितारा ‘Mayak’ लॉन्च हुआ था. रिपोर्ट के अुनसार ये आर्टिफ़िशल स्टार धरती के ग्रहपथ यानि आॅर्बिट पर पहुंच चुका है और अपने Sun Reflector भी खोल दिए हैं. इसे मॉस्को की University of Mechanical Engineering के इंजीनियर्स ने बनाया है.
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इससे बनाने वाले इंजीनियर्स का कहना है कि ये आसमान में सबसे तेज़ चमकने वाले सितारा होगा, जो धरती के किसी भी कोने से देखा जा सकता है. पिरामिड जैसा दिखने वाला ये रिफ़्लेक्टर 170 वर्ग फीट बड़ा है. जिस पॉलिमर फ़िल्म से ये बना है वो इंसानी बाल से 20 गुना ज़्यादा पतली है.
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क्या है इसे बनाने का कारण?
प्रोजेक्ट लीडर Alexander Shaenko ने बताया कि हम ये दिखाना चाहते थे कि अंतरिक्ष में काफ़ी रोचक चीज़े हैं, जिसमें कई लोगों की रुचि होगी. इसे बनाने के मुख्य रूप से दो कारण बताए गए हैं-
1. इसका पैराशूट जैसा डिज़ाइन अतंरिक्ष से तैर रही सार गंदगी घसीट लेगा और उसे जला कर ख़त्म कर देगा.
2. रूस में स्पेस रिसर्च को प्रमोट करना जिससे देश के युवा इस ओर आकर्षित हों और विज्ञान के क्षेत्र में वो और तरक्की कर सकें.
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इसके लॉन्च में करीब 20,000 डॉलर यानि करीब 12,88,000 रुपये का खर्च आया था, जिसे क्राउड फ़ंडिंग के ज़रिए इकट्ठा किया गया था. इंजीनियर्स अभी इस रफ़्लेक्टर को अंतरिक्ष में लोकेट नहीं कर पा रहे हैं. उनका कहना है कि जल्द ही इसकी iOS और एंड्रॉइड ऐप्प लॉन्च होगा, जिसके बाद इसे कोई भी लोकेट कर पाएगा.
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जहां इस अनोखे प्रोजेक्ट की लॉचिंग के बाद टीम Mayak काफ़ी खुश है, वहीं कई एस्ट्रोनॉमर्स और वैज्ञानिक इसे बेकार का प्रोजेक्ट बता रहे हैं.
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