इतिहास गवाह है कि महिलाएं कभी पुरुषों से पीछे नहीं रही हैं. जब भी मौका मिला है महिलाओं ने हथियार उठा कर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चली हैं. चाहे फिर ये मौका हिंदुस्तान की 1857 की क्रांति का हो या द्वितीय विश्वयुद्ध में फ़ासीवाद ताक़तों के ख़िलाफ़ एकजुट होने का. आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बता रहे हैं, जिसने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय न सिर्फ़ नाज़ी सेना के ख़िलाफ़ हथियार उठाये, बल्कि उन्हें नाकों चने भी चबवा दिए.

1941 में जब जर्मनी की नाज़ी सेना रशिया में घुस गई, तो सेना के साथ-साथ महिलाओं ने भी दुश्मन के ख़िलाफ़ हथियार उठाये. हथियार उठाने वाली इन महिलाओं में एक नाम Lyudmila Pavlichenko का भी था, जो इतनी खूंखार थी कि लोगों ने इन्हें ‘डेथ लेडी’ का ख़िताब दे दिया था. Lyudmila Pavlichenko ने अकेले अपने दम पर 300 नाज़ी सैनिकों को मौत की नींद सुला दिया था.

रशियन फ़ोटोग्राफ़र Olga Shirnina इतिहास में दिलचस्पी रखते हैं और व्लादिमीर लेनिन, स्टालिन समेत निकोलस द्वितीय की कई रंगीन तस्वीरों को इकट्ठा कर चुके हैं. Shirnina ने Lyudmila Pavlichenko की कुछ ऐसी ही तस्वीरों को रंग में उतारा है. आज हम आपके लिए Lyudmila Pavlichenko समेत कुछ ऐसी ही महिलाओं की तस्वीरें लेकर आये हैं, जो अपने ख़ूबसूरत चेहरे के पीछे एक जांबाज़ सिपाही को छिपाये हुए हैं.

16 वर्षीय Roza Shanina अपने कामरेड साथियों के साथ मिल कर 59 से ज़्यादा नाज़ियों को मौत की नींद सुला चुकी थीं.

ये महिला फ़ौजियों की वो सदस्य, जिन्होंने जर्मन सेना के छक्के छुड़ा दिए थे.

Lady Death को उस समय सोवियत यूनियन का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान दिया गया था, जिसके बाद व्हाइट हाउस ने भी उनकी हिम्मत का लोहा माना था.

रशियन डिजिटल आर्टिस्ट Olga Shirnina ने अतीत को बचाये रखने के लिए इन तस्वीरों को सहेजा और इनमें रंग भरे.

रशियन आर्मी को ज्वाइन करने वाली महिलाओं में से एक थीं Ziba Ganiyeva, जो 18 साल की उम्र में आर्मी का हिस्सा बनी और करीब 16 बार सीमा पार की.

Yevgenia Makeeva और Lyudmila Pavlichenko ने करीब 68 नाज़ी सैनिकों को मौत के घाट उतारा था.

इन्हीं सैनिकों में एक थीं Roza Shanina, जिन्होंने युद्ध के समय एक डायरी लिखी थी. इस डेरी को युद्ध के बाद छापा भी गया था.