मौसम चाहे गर्मी का हो या फिर ठंडे का मौक़ा ख़ुशी का होना चाहिए, बस फिर क्या बियर तो बनती है बॉस, लेकिन दुनियाभर के बियर लवर्स के लिए एक बुरी ख़बर! बियर की बढ़ती कीमतों की वजह से दुनियाभर में बियर पीने वालों की संख्या लगातार घट रही है.
दरअसल, बियर की बढ़ती कीमतों का मुख्य कारण है क्लाइमेट चेंज. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि समुद्र का बढ़ता जल स्तर, भयंकर तूफ़ान और जंगलों में लगी आग के कारण लगातार जलवायु परिवर्तन हो रहा है, जिसका सीधा असर फ़सलों पर पड़ रहा है. अच्छी फ़सल न होने से बियर कंपनियों की कच्चे माल की मांग पूरी नहीं हो पा रही है. जिस कारण बियर की ख़पत में कमी आ रही है.
दुनियाभर की बियर कंपनियों को पिछले काफ़ी समय से मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. जिसकी वजह से ग्लोबल बियर खपत में 16% की गिरावट आई है.
बियर महंगी होने से इसके शौक़ीनों की संख्या में लगातार कमी देखी जा रही है. यही कारण है कि अब शोधकर्ता भी इस समस्या का समाधान ढूंढने में लग गए हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी और सूखे की वजह से जौ की पैदावार में लगातार विश्वव्यापी गिरावट देखी जा रही है. यही कारण है कि बियर कंपनियों को दिक्कत हो रही है.
जलवायु परिवर्तन के विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर Dabo Guan कहते हैं कि, उच्च गुणवत्ता वाली जौ जलवायु परिवर्तन के कारण बुरे दौर में है. इसकी पैदावार में लगातार गिरावट आ रही है. बियर की एक बोतल की क़ीमत वर्तमान में 70 सेंट है और आने वाले समय में उसकी लागत 3.50 डॉलर हो जाएगी.
शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम के मुताबिक़, कच्चा माल न मिल पाने से हर साल अमेरिका में लगभग 30 अरब लीटर बियर की कमी देखी जा रही है. आने वाले दिनों में बियर की खपत 4 प्रतिशत तक गिर सकती है. जबकि इसकी क़ीमतें 15 फ़ीसदी तक बढ़ सकती हैं.
इस मामले में सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देश हैं एस्टोनिया, पोलैंड और चेक गणराज्य. यहां बियर की क़ीमत छह से सात गुना बढ़ने जा रही है.
भारत भी इससे जूझ रहा है क्योंकि विदेशों से आने वाली अधिकतर बियर की क़ीमतों में पहले के मुक़ाबले भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है.