वो एक सच्चा सिपाही है, लेकिन उसे भारतीय नौसेना से निकाला जा रहा है. वजह है कि वो खुद को आदमी के शरीर में फंसी हुई एक लड़की जैसा महसूस करता था. उसने सेक्स चेंज सर्जरी करायी, तो उसे सेना से निकालने का फ़ैसला ले लिया गया.

ये अपने-आप में ऐसा पहला केस है. नाविक ने बिना किसी को बताये मुंबई में ये सर्जरी करा ली थी, जब वो विशाखापट्नम बेस वापस आया, तो उसे SNLR (Service No Longer Required) के तहत सेना से हटाये जाने का फ़ैसला किया गया.

हालांकि, 1990s से कम संख्या में ही सही, पर लड़कियों को नेवी में लिया जा रहा है. लेकिन नाविक, सिपाही और एयरमैन के तौर पर अब भी केवल मर्दों की भर्ती होती है.

नेवी के अनुसार, नाविक ने सेना के नियम और शर्तों का उलंघन किया है. सात साल पहले ये नाविक लड़के के तौर पर ही आर्मी में भर्ती हुआ था. उसने मैकेनिकल इंजीनियर के तौर पर सात साल काम किया है. अगर अब वो नेवी से हटा दिया जाता है, तो उसे पेंशन भी नहीं दी जाएगी, क्योंकि पेंशन पाने के लिए सेना में 15 साल काम करना अनिवार्य होता है.

एक तरफ़ तो सेना लड़कियों को भर्ती कर के बराबरी लाने की बात कर रही है और दूसरी तरफ़ एक सैनिक के जेंडर के कारण उसे सेना से निकाला जा रहा है. अब भी लड़कियों को छोटी रैंक्स पर भर्ती करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. महिलाएं को अब भी युद्धपोतों पर जाने की, इन्फेंट्री में भर्ती होने की इजाज़त नहीं है.