करने से होगा… ठंडा मतलब टॉयलेट क्लीनर… शेर की तरह हंसो… वज़न घटाना आसान है… वगैरह-वगैरह. बाबा रामदेव के बारे में आजतक बहुत कुछ कहा गया, बहुत कुछ सुना गया. बाबा को अनशन करते भी देखा गया, सूट में भागते भी देखा गया.

आखिर रामदेव को ‘बाबा’ बनने के लिए किसने प्रेरित किया?

Hindutva

रामदेव न ही किसी संत परिवार से ताल्लुक नहीं रखते हैं और न ही उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ने के लिए किसी गुरुकुल भेजा था. हमारे मम्मी-पापा की तरह ही रामदेव के मम्मी-पापा ने भी उनका दाखिला एक स्कूल में ही करवाया था. पांचवी कक्षा तक गांव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ने के बाद उन्होंने शाहबाजपुर हाई स्कूल में दाखिला लिया. हमेशा सेकेंड-हैंड किताबें खरीदने वाले रामदेव, कक्षा में टॉप करते थे.

सबकुछ तो किसी आम बच्चे जैसा ही चल रहा था, तो फिर ऐसा क्या हुआ कि रामदेव ने स्कूल छोड़कर और घर से भागकर एक गुरुकुल में प्रवेश ले लिया? इस सवाल का जवाब है हाल में ही प्रकाशित कौशक डेका की किताब, ‘The Baba Ramdev Phenomenon: From Moksha to Market’ में.

कौशिक की ये किताब रामदेव के जीवन के हर पहलु पर प्रकाश डालती है. इस किताब के अनुसार स्वामी दयानंद सरस्वती की ‘सत्यार्थ प्रकाश’ ने बाबा रामदेव की ज़िन्दगी बदल डाली. इसी किताब ने बाबा रामदेव को अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करने में सहायता की.

बाबा ने अपने ऊपर इस किताब के प्रभाव को कुछ यूं बताया,

‘इस किताब ने मेरी अन्तर्आत्मा को जगाया और मुझे जीने का मकसद दिया. मुझे मेरे पुरखों के ज्ञान से अवगत कराया और मुझे ऋषि-मुनियों के पथ पर चलने के लिए प्रेरित किया. स्वामी दयानंद ने ही मुझे ये एहसास करवाया किया हमारे वेदों में ज्ञान का सागर है. वेदों में तर्क, युक्ति, प्रमाण से भरा ज्ञान है. अंग्रेज़ों की शिक्षा व्यवस्था तो ग़ुलामी की शिक्षा व्यवस्था थी.’

बाबा की निंदा करने के लिए आपके पास कई कारण होंगे, पर इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि योग को Popular करने का श्रेय इन्हीं को जाता 

Source: Top Yaps