पिछले हफ़्ते अपने ट्रैक से उतरी उत्कल एक्सप्रेस हादसे में कई लोगों की जान गयी और बहुत घायल हुए. ये इस साल के सबसे बड़े रेल हादसे में एक था. मुश्किल की घड़ी में, जब किसी ने अपना इकलौता बेटा खोया था, तो कोई अपनी मां के कपड़ों से उसकी लाश को ढूंढने की कोशिश कर रहा था… तब कई ऐसे चेहरे सामने आये जिन्होंने विश्वास दिलाया कि परेशानी कितनी ही बड़ी क्यों न हो, वो अच्छाई के आगे घुटने टेक देती है.

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मुज़्ज़रफ़रनगर, जहां ये ट्रेन हादसा हुआ, वहीं के मंसूरपुर में योगेन्द्र कुमार त्यागी का रेस्टोरेंट. योगेन्द्र को जैसे ही इस हादसे की ख़बर मिली, वो सीधे घटनास्थल पहुंचे और उस भयानक मंज़र को भुला नहीं पाए. योगेन्द्र ने प्रण लिया कि इस मुश्किल के समय में वो बाक़ी लोगों की जितनी मदद हो सकी, करेंगे.

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लेकिन मदद सिर्फ़ कहने या सोचने भर से नहीं होती, इसलिए योगेन्द्र ने सबसे पहले अपने रेस्टोरेंट में टेबल-कुर्सी हटवा कर वहां घायलों और मृतकों के परिजनों के रहने का इंतेज़ाम किया. खाने, पीने और रहने की ये मदद सच में बहुत बड़ी थी, ख़ास कर तब जब लोगों के लिए सरकारी कैंप कम पड़ रहे थे.

त्यागी का कहना है कि ये उपरवाले का आदेश था और वो उसी का पालन कर रहे थे, उन्होंने देखा था कि हादसे में लोगों का काफ़ी सामान गायब हो चुका था और उन्हें एक छत की तलाश थी. सरकार द्वारा राहत कार्य शुरू होने तक काफ़ी लोगों को योगेन्द्र ने सहारा दिया.