रविवार की सुबह महाराष्ट्र वालों के लिए आम नहीं थी, उस सुबह एक ऐसी घटना घटित हुई जिसके बाद वहां के लोग हैरानी में पड़ गए. दरअसल, महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के विजयदुर्ग में बीते रविवार की सुबह को समुद्र में मछली पकड़ते वक़्त एक मछुआरे के जाल में विशाल मछली फंस गई. करीब 15 फीट लंबी इस मछली के ब्लेड की तरह बत्तीस दांत बाहर की ओर निकले हुए थे. 700 किलो वज़नी इस मछली को सॉफ़िश (आरा मछली) या फिर कारपेंटर शार्क के नाम से भी जाना जाता है.
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इसकी कुल सात प्रजातियां हैं, जिनमें से चार भारत में पाई जाती है. वाइल्ड लाइफ़ एक्ट 1972 के तहत इन सभी को Red List में रखा गया है.
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इस मछुआरे ने यह भी बताया कि ऐसी मछलियां मिलना अब काफ़ी मुश्किल है. मछुआरे के मुताबिक, जब उन्हें यह मछली मिली, तो वह पहले से ही घायल हो चुकी थी. मछली ने नेट से निकलने की कोशिश की होगी, जिसकी वजह से वह घायल हो गई और उसकी मौत हो गई. वहीं इलाके के लोगों और मछुआरे के मुताबिक, सिंधुदुर्ग इलाके में पहले भी कुछ जगहों पर दुर्लभ प्रजाति की मछलियां देखने को मिली हैं, जो मछुआरों के जाल में फंस जाती हैं.
वहीं दूसरे मछुआरे का कहना है कि जल प्रदूषण बढ़ने के कारण पिछले 10 सालों में इनकी संख्या में काफ़ी गिरावट आई है. घरेलू बाज़ार में ये मछली 1.5 लाख रुपये में बिकती है.
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शोधकर्ताओं ने कहा कि सॉफ़िश को मैक्सिको, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्वी एशिया की खाड़ी में मुख्य रूप से देखा गया है. भारत में ऐसी प्रज़ातियां बहुत मुश्किल से देखने को मिलती हैं. आईयूसीएन ने इस प्रज़ाति की मछलियों को लुप्त बताया है. वहीं मरीन फिशरीज़ रिसर्च इंसटीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और समुद्री सलाहकारों का कहना है कि एक मछली की मौत पूरी आबादी को ख़तरे में डाल सकती है.
Feature Image Source : newsnation
Source : hindustantimes