भारतीय सैटेलाइट की मदद से वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष से जुड़ी बहुत बड़ी कामयाबी हासिल की है. उन्होंने भारत की AstroSat सैटेलाइट की मदद से दुनिया की सबसे पहले बनी आकाशगंगाओं में से एक को खोज निकाला है.
पुणे की Inter University Centre For Astronomy And Astrophysics (IUCAA) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने इसे खोजा है. इस टीम में भारत, स्विट्ज़रलैंड, फ़्रांस, अमेरीका, जापान और नीदरलैंड के वैज्ञानिक शामिल हैं. इसका नेतृत्व भारतीय वैज्ञानिक डॉ. कनक शाह कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि ये आकाशगंगा पृथ्वी से 9.3 अरब प्रकाश वर्ष दूर है. इससे निकलने वाली पैराबैंगनी किरणों को AstroSat के टेलीस्कोप और एक्सरे ने कैच कर लिया था. साल 2016 में इसे पहली बार देखा गया था. तब नासा का Hubble Space Telescope (HST) इसे कैप्चर नहीं कर पाया था क्योंकि तब ये किरणें कुछ धुंधली थीं.
उस वक़्त ये 28 घंटे तक दिखाई दी थीं. इसके बाद भारतीय सैटेलाइट ने इसे फिर से कैप्चर किया. 2 साल तक वैज्ञानिकों ने इसका अध्ययन किया और अब जाकर उन्हें पता चला ये किरणें एक आकाशगंगा से निकल रही थीं. इस शोध को Nature Astronomy नाम की पत्रिका में प्रकाशित किया गया है.
इस आकाशगंगा का नाम वैज्ञानिकों ने AUDFS 01 रखा है. ये पृथ्वी से लगभग 98 खरब किलोमीटर दूर है. डॉ. कनक शाह ने इस बारे में बात करते हुए कहा- ‘ये आकाशगंगा Extreme Deep फ़ील्ड में स्थित है. हमें इन पैराबैंगनी किरणों के उत्सर्जन की स्टडी कर ये पता लगाने में 2 साल लग गए कि ये किसी आकाशगंगा के हैं.’
डॉ. शाह ने बताया कि AstroSat के Ultra Violet Imaging Telescope (UVIT) इस अनूठी उपलब्धि को हासिल करने में सक्षम था, क्योंकि इसके UVIT डिटेक्टर के बैकग्राउंड में शोर HST की तुलना में बहुत कम था.
वहीं IUCAA के निदेशक डॉ. सोमिक रॉय चौधरी ने बताया कि ये एक महत्वपूर्ण सुराग है कि कैसे ब्रह्मांड के Dark Ages समाप्त हुए, जबकि वहां पर प्रकाश मौजूद था. उन्होंने कहा- ‘हमें ये पता लगाना है कि ये कब शुरू हुआ था. लेकिन इसके शुरुआती स्रोत का पता लगा पाना बहुत कठिन है.’
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