हमारे देश में एक बड़ी समस्या ये है कि हमारा कोई न कोई चाचा, ताऊ या बड़ा भाई कहीं न कहीं नेता या किसी पार्टी का प्रधान होता है. जब ये प्रधानी खुद अपने पर सवार हो, तो हम किसी को कुछ समझते ही नहीं हैं. ताकत का ऐसा ही नशा महाराष्ट्र के शिव सेना के नेता को उस समय महंगा पड़ा, जब उसका सामना ट्रैफिक पुलिस में तैनात सीमा काले से हुआ.
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मामला 26 फरवरी 2016 का है, पर आज भी उतना ही प्रासंगिक है. खबरों के मुताबिक सीमा, नितिन कंपनी सिग्नल पर गाड़ियों पर नज़र रखे हुए थीं कि उन्हें एक स्कार्पियो आती हुई दिखाई दी, जिसका ड्राईवर ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते हुए मोबाइल पर बात करते हुए ड्राइव कर रहा था.
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सीमा ने ड्राईवर को गाड़ी रोकने का इशारा किया और लाइसेंस दिखाने के लिए कहा. इस पर ड्राईवर का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया और वो गाली-गलौच के साथ ही हाथापाई पर उतर आया. पर डर के भागने के बजाय सीमा ने भी ड्राईवर की हाथापाई का जवाब तमाचों से दिया और ‘मोटर व्हीकल्स एक्ट’ के तहत मामला दर्ज किया.
ये सारा वाकया पास ही लगे एक CCTV में कैद हो गया, जिसकी मदद से इस ड्राईवर की पहचान शिव सेना कार्यकर्ता शशिकांत कालगुडे के रूप में हुई. सीमा की इस हिम्मत और बहादुरी से डिप्टी पुलिस कमिश्नर संदीप पालवे बहुत प्रभावित हुए और उन्हें सम्मानित करने के लिए डिपार्टमेंट की तरफ से 10,000 रुपये का पुरुस्कार दिया.
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सीमा को सम्मानित करके वो बाकी पुलिसकर्मियों को संदेश देना चाहते थे कि इस तरह की हालातों से कैसे निपटना है.