देश में धर्मों के बीच बढ़ते द्वन्द के बीच सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करती एक घटना सामने आई है. वाराणसी की रहने वाली आलम आरा पिछले 17 सालों से शिवलिंग बनाकर अपनी रोज़ी-रोटी चला रही हैं. आरा के मुताबिक, ‘हिंदू-मुस्लिम के बीच अलगाव की गतिविधियां समय ख़राब करने जैसा है और हम सब हिंदुस्तानी हैं.’
UP: Varanasi’s Alam Ara making Shiva Lingam for the last 17 years to earn a living, says “this is god-gifted art, we make it with love” pic.twitter.com/bIJZvvWGoe
— ANI UP (@ANINewsUP) July 22, 2017
आरा ने कहा कि ‘मुझे मूर्ति बनाने की कला ईश्वर से मिली है और हम बहुत प्यार से शिवलिंग बनाते हैं. शिवलिंग हमारी रोज़ी-रोटी का ज़रिया है. हिंदू-मुस्लिम से कुछ नहीं होता है और हम हिंदुस्तानी हैं और हमेशा हिंदुस्तानी रहेंगे.’
Ye humari rozi hai…Hindu-Muslim se kuch nahi hota hai. Hum Hindustani hain: Varanasi’s Alam Ara on making Shiva Lingam for 17 years pic.twitter.com/aASkM4nkW3
— ANI UP (@ANINewsUP) July 22, 2017
‘अनेकता में एकता’ और ‘हम सब एक हैं’ जैसे नारे जो भारत की विविधता की गवाही देते थे, आज के समय में प्रासंगिकता खो रहे हैं. ऐसे में आलम आरा जैसे लोग एक उदाहरण हैं, हमें फिर से याद दिलाने के लिए कि धर्म का रोज़गार से कोई संबंध नहीं होता और सबसे पहले देश की भलाई है, उसके बाद कुछ और.