IPC सेक्शन 375 के अनुसार, 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाना रेप माना जाता है, लेकिन इसमें एक अपवाद है. नाबालिग लड़की से शादी करने के बाद, यदि उसकी मर्ज़ी के बिना भी पति उससे सम्बन्ध बनाता है, तो उसे रेप नहीं माना जाता था.

बुधवार को आये सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, नाबालिग लड़की से शादी के बाद संबंध बनाना भी अब अपराध की श्रेणी में आएगा. अगर लड़की ऐसा होने के एक साल के अंदर शिकायत दर्ज कराती है, तो पति के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा सकती है. सभी लड़कियों के लिए कंसेंट (सहमती) की उम्र 18 वर्ष कर दी गयी है.

इसके साथ ही मेरिटल रेप को भी अपराध की श्रेणी में रखे जाने की मांग उठ रही है. भारत में लगभग 23 मिलियन लड़कियां हैं, जिनकी शादी बालिग़ होने से पहले की गयी है.

इस फ़ैसले के पीछे ये तर्क दिया गया है कि बालिग़ होने से पहले लड़कियां शारीरिक और मानसिक रूप से संबंध बनाने के लिए तैयार नहीं होतीं.

सरकार ने एक एफ़िडेविट में कहा है कि भारत में 18 से 29 साल की 46% लड़कियों की शादी 18 की उम्र से पहले की गयी है.

ये यकीनन एक सराहनीय कदम है, लेकिन अभी और ऐसी बहुत सी ऐसी चीज़ें हैं, जिन्हें क़ानून के दायरे में लाया जाना चाहिए. नाबालिग लड़कियों को शादी के बाद होने वाले यौन शोषण से बचाने के लिए तो क़ानून बन गया है, लेकिन बालिग़ होने के बाद अगर किसी के साथ मेरिटल रेप हो, तो उसे आज भी अपराध नहीं माना जाता.

रेप एक जघन्य अपराध है, ये हम सब जानते हैं. वो रेप का ही अपराध था, जिससे आक्रोशित होकर सारा देश 2012 में सड़कों पर उतर आया था. लेकिन यही रेप जब शादी के बाद होता है, तो अपराध नहीं कहलाता. इससे यही समझ आता है कि एक तरह से शादी पति के लिए रेप करने का लाइसेंस बन जाती है. Consent, सहमती, ये सभी शब्द शादी के बाद एक औरत के लिए अपने मायने खो देते हैं.

अमेरिका में शादी के बाद बलात्कार को 1993 से अपराध माना जाने लगा था. पोलैंड, रूस और नॉर्वे जैसे कुछ देशों में पचास साल पहले ही इसके खिलाफ़ क़ानून बन गए थे, लेकिन भारत में आज भी इसके खिलाफ़ कोई क़ानून नहीं है.